पहले बुरी शक्तियों के लिए भूटान में बजती थीं तालियां, मोदी ने बदली परंपरा
मोदी के भाषण के बाद संसद में नेशनल असेंबली तथा नेशनल काउंसिल के सदस्यों की तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे भी इस दौरान उपस्थित थे। नेशनल असेंबली (निम्न सदन) के चैंबर में संयुक्त सत्र का आयोजन किया गया जिसमें नेशनल काउंसिल (उच्च सदन) के सदस्यों ने भी भाग लिया।
यूं तो मोदी के पास तैयार भाषण था लेकिन उन्होंने हिंदी में अपने अंदाज में 45 मिनट तक भाषण दिया जिसे उपस्थित सदस्यों ने तल्लीनता से सुना। भारत-भूटान संबंधों पर मोदी के भाषण के अनुवाद के लिए दुभाषिये भी मौजूद थे। मोदी ने हिमालय को साझा विरासत बताते हुए क्षेत्र में पारिस्थितिकी विकसित करने पर जोर दिया और कहा कि भारत हिमालय पर अध्ययन के लिए एक विश्वविद्यालय खोलने की योजना बना रहा है।
नेशनल असेंबली के 47 और नेशनल काउंसिल के 25 सदस्य नीली पोशाक पहने हुए थे। इसी बीच जब मोदी ने अपना भाषण खत्म किया तो सम्मान में पूरा सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस नई पहल को दोनों देशों में खूब सराहा गया वहीं कुछ नकारात्म्क तत्वों ने इसे इस तरह जोड़कर देखा कि मोदी के आने के बाद बुरी शक्तियां समझकर तालियां बजा दी गईं।