बाढ़ से जूझ रहा जम्मू कश्मीर लेकिन उमर को कोई फिक्र नहीं
श्रीनगर।
जम्मू
कश्मीर
के
मुख्यमंत्री
उमर
अब्दुल्ला
जो
अगले
कुछ
दिनों
में
यहां
होने
वाले
विधानसभा
चुनावों
के
दौरान
अपनी
किस्मत
आजमाने
जा
रहे
हैं,
एक
बार
फिर
विवादों
में
हैं।
उमर अब्दुल्ला ने मुश्किलों में फंसे लोगों की मदद करने के बजाय एक ऐसा बयान दे डाला है जो उनकी लापरवाही साबित करने के लिए काफी है। उमर की मानें तो उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग उनके बारे में क्या बात कर रहे हैं।
इसका मतलब कि वह जिंदा हैं
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ राहत कार्यों को लेकर खासा गुस्सा है। ऐसे में उन्होंने मंगलवार को बयान दिया और कहा, 'मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरी आलोचना हो रही है। कम से कम इससे यह तो साबित होता है कि इन लोगों को बचा लिया गया है, यह लोग जिंदा हैं और मेरी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने के लिए सांस लेने में सक्षम हैं।'
उमर से अलग कांग्रेस पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज को भी श्रीनगर में लोगों के गुस्से का सामना उस समय करना पड़ा जब वह एक रिलीफ कैंप का दौरा करने गए थे।
कहां है सिविल एडमिनिस्ट्रेशन
सेना, एयरफोर्स और एनडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन में अपनी पूरी ताकत झोंक दी हैं। इस बीच जनता सवाल कर रही है कि आखिर राज्य में सिविल एडमिनिस्ट्रेशन जैसी कोई चीज है या नहीं।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर वनइंडिया को जानकारी दी है कि सेनाएं और एनडीआरएफ की टीमें अपना कर्तव्य पूरा कर रही हैं लेकिन सिविल एडमिनिस्ट्रेशन का कोई भी अधिकारी नजर नहीं आ रहा है।
इस अधिकारी के मुताबिक कई जगहें ऐसी हैं जहां पर एयरक्राफ्ट लैंड नहीं कराया जा सकता है। वहां पर सेनाओं को सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की जरूरत है। इससे अलग राज्य के लोग आपस में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।