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कारगिल बैटल स्कूल जैसी ट्रेनिंग तो अमेरिकी जवानों को भी नहीं मिलती

By Richa
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कारगिल जंग की 15वीं वर्षगांठ पर विशेष | सुरक्षा कारणों से हम आर्मी ट्रेनिंग सेंटर की तस्वीरें नहीं दिखा रहे हैं

द्रास से ऋचा बाजपेई। क्या आप जानते हैं कि हिमालय के ऊंचे पहाड़ों पर जिस तत्परता के साथ भारतीय जवान चढ़ सकते हैं, उतनी तत्परता से अमेरिकी जवान नहीं चढ़ सकते। हां चीन के जवानों के पास यह महारथ जरूर हासिल है। क्या आपने सोचा है, कि आख‍िर ऐसी कौन सी आर्मी ट्रेनिंग है, जिससे अमेरिकी जवान महरूम रह जाते हैं?

यह वो ट्रेनिंग है, जो कारगिल बैटल स्कूल में दी जाती है। आज भी लोग नहीं भूल सके हैं कि कैसे कारगिल युद्ध के दौरान हमारे सैनिकों को 14,000 फीट पर बैठे दुश्मन के साथ जंग लड़ी थी। कारगिल युद्ध जैसा वाक्या दोबारा न हो सके इसके लिए सेना अपने जवानों को कड़ी मेहनत के साथ तैयार करती है। कारगिल बैटल स्कूल इसी मेहनत का एक हिस्सा है। यहां पर खास तौर से पहाड़ों पर जंग लड़ना सिखाया जाता है।

मिनटों में चढ़ जाते हैं पथरीले पहाड़ों पर

द्रास सेक्टर में स्थित कारगिल बैटल स्कूल कारगिल में जवानों को इन्हीं ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ना सिखाया जाता है। इस बैटल स्कूल में जवानों को कई तरह की टेक्निक्स के जरिए बताया जाता है कि वह किस तरह से ऊंची-ऊंची पहाडि़यों पर मिनटों में पहुंच सकते हैं और कैसे वह वहां छिपे दुश्मन को पल भर में ढेर कर सकते हैं।

यहां रहती है ऑक्सीजन की कमी

इस स्कूल की शुरुआत कारगिल युद्ध के तुरंत बाद की गई थी। स्कूल का मकसद जवानों और सैनिकों को इस तरह से तैयार करना है कि वह ऊंची-ऊंची पहाडि़यों पर तो आसानी से पहुंच ही सकें साथ ही वहां पर ऑक्सीजन की कमी जैसे मुश्किल हालातों का सामना भी कर सकें।

इस स्कूल के बारे में सेना के अफसर एसएम मैथ्यू ने बताया कि स्कूल में इस तरह की ट्रेनिंग जवानों को दी जा रही है कि उन्हें कठिन से कठिन समय में भी हालातों के साथ सामंजस्य बिठाने में कोई दिक्कत न हो।

इस स्कूल में जवानों को वन हैंग क्लाइबिंग, डबल जंप क्लाइबिंग, कैनाविनर रैप्लिंग, सिंगल रो रैप्लिंग और कैजुअलटी के समय साथी जवान को नीचे कैसे लेकर आना है, इसके बारे में बताया जाता है। इंस्ट्रक्टर राबी बानया बताते हैं कि अगर किसी भी जवान को ऊंचाई से डर लगता है तो उसे अलग-अलग तरह से मोटीवेट किया जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि किसी भी जवान को ऊपर जाकर नीचे आने में बस पांच का ही समय लगता है।

यहां पर ट्रेनिंग हासिल करने वाले जवान भी इस ट्रेनिंग का हिस्सा बनकर खुद को काफी लकी मानते हैं।

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English summary
Kargil battle school where warriors are getting knowlegde how to scale high heals. This school was established just after the Kargil war.
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