10 कारण जिनसे राहुल गांधी के लिये स्मृति बन सकता है अमेठी!
सांसद
राहुल
गांधी
का
रिपोर्ट
कार्ड
अमेठी के जिन इलाकों में राहुल गांधी के खिलाफ हवा उठी है, उन इलाकों में सबसे बड़े कारण वो तथ्य हैं, जिनसे खुद राहुल भी इंकार नहीं कर सकते हैं। वो तथ्य इस प्रकार हैं-
1.
पिछले
पांच
सालों
में
अमेठी
से
सांसद
राहुल
की
संसद
में
उपस्थिति
मात्र
13.64
प्रतिशत
रही।
2.
पांच
साल
में
संसद
में
राहुल
गांधी
ने
एक
भी
सवाल
नहीं
उठाया,
क्या
अमेठी
में
एक
भी
समस्या
ऐसी
नहीं
थी,
जो
संसद
में
उठायी
जा
सके?
3.
पिछले
10
साल
यानी
करीब
3650
दिन
में
राहुल
गांधी
मात्र
106
दिन
ही
अपने
संसदीय
क्षेत्र
अमेठी
गये।
4.
पिछले
पांच
साल
में
अमेठी
को
दिये
गये
फंड
में
राहुल
गांधी
ने
मात्र
53.68
प्रतिशत
ही
खर्च
किया।
बाकी
फंड
धरा
रहा
और
अमेठी
विकास
की
राह
ताकता
रहा,
क्योंकि
उस
फंड
का
भी
तीन
चौथाई
हिस्सा
ही
विकास
पर
खर्च
हुआ।
फंड
पर
सरकार
की
रिपोर्ट।
5.
सबसे
शक्तिशाली
सांसद
के
होते
हुए
भी
अमेठी
में
54
प्रतिशत
लोग
गरीबी
रेखा
से
नीचे
हैं।
6.
पिछले
5
साल
में
राहुल
गांधी
ने
जितनी
भी
विदेश
यात्राएं
कीं,
उनका
एक
भी
ब्योरा
संसद
में
नहीं
दिया
गया।
7.
अमेठी
में
स्वास्थ्य
सेवाओं
का
अंदाजा
आप
इसी
से
लगा
सकते
हैं
कि
प्रत्येक
1000
में
83
नवजात
शिशुओं
की
मौत
हो
जाती
है।
8.
अमेठी
के
मात्र
16
फीसदी
बच्चों
का
ही
वैक्सीनेशन
हुआ
है।
9.
मात्र
14
फीसदी
लोगों
को
ही
नियमित
बिजली
मिलती
है।
बाकियों
को
दिन
में
दो
घंटे
भी
बिजली
मिल
जाये
तो
बड़ी
बात
है।
10.
अमेठी
के
स्कूलों
की
हालत
बेहद
खराब
है।
कहीं
इमारत
नहीं
है,
तो
कहीं
शिक्षक।
यहां
की
शैक्षिक
दर
मात्र
39
प्रतिशत
है।
अमेठी पर सर्वेक्षण
सबसे पहले हम जनता की राय पर एक नजर डालते हैं। वनइंडिया ने जनता से सवाल पूछा कि अमेठी में किसकी जीत होगी? जवाब में सबसे ज्यादा 51 प्रतिशत (1641) लोगों ने स्मृति ईरानी का नाम लिया। उसके करीब आधे लोगों (854) यानी 27 प्रतिशत ने कहा राहुल गांधी और 19 प्रतिशत (605) लोगों ने कुमार विश्वास का नाम लिया। खबर लिखे जाने तक इस सर्वे में कुल 3201 लोगों ने हिस्सा लिया। पोल अभी खुला है, आप भी वोट कर सकते हैं।
चुनावी समीकरण
उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरण आम तौर पर धर्म एवं जाति के आधार पर बनते हैं। अमेठी की बात करें तो यहां पर 79 फीसदी हिन्दू हैं और 20 फीसदी मुसलमान, वहीं अन्य धर्म के लोग 1 फीसदी हैं। यानी यहां पर अगर राहुल गांधी मुस्लिम वोटबैंक के सहारे भी जीत की आशा रख रहे हैं, तो यह उनका ओवर कॉन्फीडेंस होगा। वहीं अगर आपके मन में कुमार विश्वास का नाम चल रहा है, तो उनकी जीत की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि वो बिना किसी होमवर्क के अमेठी में घूम रहे हैं।