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    नारी के अस्तित्त्व को ढूंढता सत्यमेव जयते

    By Belal Jafri
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    बिलाल एम जाफ़री
    बहुत दिनों पहले ओशो लिखित एक किताब पढ़ी थी "नारी और क्रांति" ओशो ने लिखा था नारी क्या है? इस संबंध में बोलने का सोचता हूं, तो पहले यही खयाल आता है। कि नारी कहां है? नारी का कोई अस्‍तित्‍व ही नहीं है। मां का अस्तित्व है, बहन का अस्‍तित्‍व है, बेटी का अस्तित्व है, पत्‍नी का अस्‍तित्‍व है पर नारी का कहीं अस्‍तित्‍व नहीं है। नारी का अस्‍तित्‍व उतना ही है जिस मात्रा में वह पुरूष से संबंधित होती है। पुरूष का संबंध ही उसका अस्‍तित्‍व है। उसकी अपनी कोई आत्‍मा नहीं है।"

    ओशो ने लिखा, "यह बहुत आश्‍चर्यजनक है, लेकिन यह कड़वा सत्‍य है कि नारी का अस्‍तित्‍व उसी मात्रा ओर उसी अनुपात में होता है, जिस अनुपात में वह पुरूष से संबंधित होती है। पुरूष से संबंधित नहीं हो तो ऐसी नारी का कोई अस्‍तित्‍व नहीं है। और नारी का अस्‍तित्‍व ही न हो तो क्रांति की क्‍या बात करना है?"

    यानी की अगर ओशो की माने तो आज की नारी दिगभ्रमित है वो अपना अस्तित्त्व भूल चुकी है। उसका अपना कोई नहीं है। आजाद होते हुए भी वो बंदिशों में है। वो अपने अस्त्तित्व को तलाश रही है, लेकिन आज टी वी पर एक शो सत्यमेव जयते देखा, बड़ा दुःख हुआ ये जानकर की असल में वर्तमान स्थिति तो इन सब बातों से ज्यादा दयनीय है।

    इतने संवेदनशील मुद्दे पर किसी का ध्यान ही नहीं है। देश में कन्या भ्रूण हत्या का ग्राफ जिस तेज़ी से आगे जा रहा है साथ ही इस कृत में डाक्टरों की संलिप्तता एक सोंचने का विषय है।

    देश में लगातार बढ रही कन्या भ्रूण हत्या ये सोचने पर विवश करती है की कहाँ जा रहा है हमारा देश? क्या वास्तव में हम मानव कहलाने के योग्य है? या हमारी मानवता महज "being Human" की टी -शर्ट तक सीमित है? दोस्तों बात शो देखते हुए चाय की चुस्कियों के बीच इस समस्या पर विचार करने की नहीं है। न ही हमको ये सोंचना है की वाह! भाई वाह क्या शो बना दिया आमिर ने, आज तो मजा ही आ गया।

    मित्रों समस्या कोई भी हो समस्या ही होती है। बात समस्या की बड़ी या छोटी होने की नहीं है, परिवर्तन तभी है जब इसे हम अपने घर से शुरू करें। अगर बेटों से हमारा मोहभंग नहीं हुआ तो ईश्वर न करे कहीं वो दिन भी आ जाये जब हमें अपने लड़कों के लिए वहू ही न मिले जैसा की आजकल कुछ एक राज्यों में देखने को मिल रहा है, जिनमें हरियाणा और राजस्‍थान सबसे आगे हैं।

    कहीं ऐसा न हो हम बेटी की किलकारी को ढूंढे, अपने आँगन में उसे खेलते देखने का सपना बस सपना रह जाये। कही थक हार के हमको इन पंक्तियों की याद न आ जाये ओ रे चिरईया, नहीं सी चिड़िया अंगना में फिर आ जा रे! अभी भी समय है संभल जाएं वरना मर्जी आपकी - फैसला आपका।

    English summary
    After the telecast of the TV Show Satyamev jayate produced by actor Aamir Khan Indian Audience has come up with a new debate of Female Foeticide point is do we really need these type of programmes over such a sensative issue or its just one another mode for their entertainment‍, here we have to come forward to protect girl child. 
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