अपने ही सर्वे में मोदी से चित हुए केजरीवाल
एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, केजरीवाल के कैंपेन मैनेजर गोपाल मोहन का कहना है कि इसे एक सफलता के तौर पर देखा जाना चाहिए। उनका कहना है कि जब कैंपेन शुरू हुआ था तो केजरीवाल मोदी के मुकाबले 2 लाख वोट पीछे थे। उनका दावा है कि वह 50000 के मौजूदा अंतर को अगले 10 दिनों में पाट देंगे।
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इसी
लक्ष्य
को
लेकर
'आप'
ने
बुधवार
को
शहर
के
महमूरगंज
इलाके
में
अपना
वॉर-रूम
खोला
है।
हालांकि
'आप'
के
लिए
लोगों
तक
पहुंचना
एक
चुनौती
है।
'आप'
का
टारगेट
क्षेत्र
के
सभी
3.14
लाख
घरों
तक
कम
से
कम
तीन
बार
पहुंचना
है।
केजरीवाल
को
जीत
दिलाने
की
जिम्मेदारी
संगठन
के
पांच
लोगों-
मनीष
सिसोदिया,
दिलीप
पांडेय,
दुर्गेश
पाठक,
कपिल
मिश्रा
और
गुलाब
सिंह
को
दी
गई
है।
केजरीवाल वाराणसी में नुक्कड़ मीटिंग्स और पदयात्रा पर फोकस करेंगे। आखिरी पांच दिन रोड शो और बड़ी सभाओं के कार्यक्रम होंगे। 'आप' के लिए मुश्किल बजट की है। पार्टी वाराणसी में कैंपेनिंग पर 25-30 लाख रुपये खर्च करेगी। 'आप' को उम्मीद है कि मोदी की व्यस्तता उनको फायदा पहुंचाएगी क्योंकि मोदी खुद वाराणसी में कम समय दे सकेंगे।
दिल्ली असेंबली चुनाव में शीला दीक्षित के खिलाफ केजरीवाल की जीत के समय भी मोहन उनके कैंपेन मैनेजर रहे थे। हालांकि मोहन मान रहे हैं कि इस बार चुनौती अधिक बड़ी है। वाराणसी में एक दिन में तीन बार मोदी समर्थक केजरीवाल का रास्ता रोक चुके हैं, जिससे 'आप' के प्रचार अभियान में रूकावट आ रही है।