क्या आपको पता है अखिलेश यादव का 'यह' सच ?
अनुशासन के पाबंद पिता मुलायम ने उन्हें प्रारम्भिक शिक्षा के लिए राजस्थान के धौलपुर सैनिक स्कूल भेजा, जहां पढा़ई पूरी करने के बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी में स्नातक और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि हासिल की। आइए स्लाइडर की साइकिल पर करते हैं 'अखिलेश यात्रा' ...
राजनीति में तलाशा कॅरिअर
युवा अखिलेश सिडनी से पढा़ई पूरी करके पहुंचे तो राजनीति उनकी प्रतीक्षा कर रही थी और वर्ष 2000 में वे पहली बार कन्नौज लोकसभा सीट से उपचुनाव जीत कर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। यह सीट पिता मुलायम सिंह यादव के इस्तीफे से खाली हुई थी।
नैया अब अखिलेश के हाथ
बढ़ती उम्र और राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ती व्यवस्तता के बीच कुछ वर्षों पहले पार्टी मुखिया यादव ने पार्टी की प्रदेश इकाई के नेतृत्व की जिम्मेदारी युवा पुत्र अखिलेश के कंधे पर डाल दी और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी भी क्या खूब निभाई।
खूब दौड़ी साइकिल
16वीं विधानसभा के लिए चुनाव की औपचारिक घोषणा से पहले ही अखिलेश कभी क्रांति रथ यात्रा तो कभी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल से युवकों और समर्थकों की यात्राएं निकाल कर पूरे प्रदेश को गांव-गांव, शहर -शहर पहुंच कर मानों मथ डाला।
थकते नहीं हैं कभी अखिलेश
पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में पार्टी को जमाने और समाजवाद का संदेश जन जन तक पहुंचाने के लिए अखिलेश ने दस हजार किलोमीटर यात्राएं की और आठ सौ से अधिक रैलियां संबोधित की, मगर चेहरे पर कभी थकान और आक्रोश की झलक तक दिखाई न पड़ी।
पार्टी को समर्पित हैं अखिलेश
सिर पर पार्टी की लाल टोपी, सफेद कुर्ते पायजामे पर काले रंग की सदरी में संयत, विनम्र मगर दृढसंकल्प भाषणों के जरिये युवा अखिलेश ने देखते ही देखते स्वयं को प्रदेश की राजनीति का सबसे जाना पहचाना चेहरा बना लिया।
सीरियस भी सिंसियर भी
पार्टी उम्मीदवारों के चयन में सूझ बूझ के साथ अहम भूमिका निभाई और डीपी यादव जैसे बाहुबलियों को पार्टी में शामिल किये जाने के कदम का विरोध करके उन्होंने राजनीति में जरुरी दृढ निर्णय शक्ति का परिचय दिया।
'यह' बहुत पसंद है अखिलेश को
अखिलेश यादव को फुटबॉल खेलना व देखना काफी पसंद है। हालांकि क्रिकेट भी वो अच्छा खेलते हैं, लेकिन मैसूर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान क्रिकेट मैच खेलते वक्त उनके नाक पर लेदर की गेंद लगने के बाद उनके नाक में गम्भीर चोट आई और वो आज तक उनके नाक पर निशान बन गया है। जिससे अखिलेश यादव थोड़ा पतली आवाज में बोलते हैं। इस कारण से उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया। उनके पसंदीदा खिलाड़ी - रोनाल्डो और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर