बेशक इस जीत का श्रेय रहाणे के शतक, ईशांत शर्मा के बाउंसर और भुवनेश्वर की तीखी बॉलिंग को जाता है लेकिन इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस जीत में धोनी की कप्तानी ने अहम रोल अदा किया है और इस जीत के बाद उन लोगों के मुंह पर ताला लगा दिया है जिन्होंने कहना शुरू कर दिया था कि धोनी को टेस्ट टीम से इस्तीफा दे देना चाहिए।
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अपनी टीम की जीत के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मीडिया से बाद कहा कि 2011 में इंग्लैंड के हाथों सीरीज में मिली 0-4 से करारी हार के दौरान लिए गए सबक से उन्हें यह मैच जीतने में मदद मिली। धोनी ने कहा कि 2011 में हमारी टीम ने सीखा कि टेस्ट मैच जीतने के लिए मैच के तीसरे दिन तक मैच में बने रहना जरूरी है और यही बात इस मैच में कारगर साबित हुई।
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धोनी ने कहा, "मेरे खयाल से हमने 2011 की श्रृंखला से सबक ली कि मैच के तीसरे दिन तक मैच में बने रहना जरूरी है, क्योंकि इसके बाद ही हमारे स्पिन गेंदबाज मैच पर अपनी पकड़ बना सकते हैं। हमें यही करने की जरूरत थी, जो हम 2011 में नहीं कर पाए थे।"
मिस्टर कूल ने कहा कि यह जीत युवा भारतीय टीम के लिए बेहद जरूरी थी, क्योंकि अधिकांश युवा खिलाड़ी इंग्लैंड में पहली बार खेल रहे हैं। भारत ने इस जीत के साथ ही विदेशी धरती पर पिछले तीन वर्षो के जीत के सूखे को खत्म किया, तथा लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर तो भारतीय टीम ने 30 वर्षो बाद जीत हासिल की।