दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में आज श्रीनिवासन ने बोर्ड के अध्यक्ष पद से दूर नहीं रखने की अपील दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मैचों के दौरान सुंदररमन आईपीएल के सीओओ बने रहेंगे, लेकिन इसके लिए उसकी कुछ शर्तें भी हैं।
कोर्ट ने कहा कि वह बीसीसीआई की स्वायत्ता बनाए रखना चाहता है, लेकिन श्रीनिवासन के खिलाफ आरोपों की जानकारी के बाद हम चुप नहीं रह सकते। अब मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
श्रीनिवासन ने मंगलवार को अपनी ओर से हलफ़नामा दायर कर अपना पक्ष रखने की कोशिश की, और इसके जरिये श्रीनिवासन ने यह साबित करने की कोशिश की कि उन्हें पूरे मामले में फंसाया गया है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा है कि आईपीएल के सीओओ सुंदर रमन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था।
श्रीनिवासन ने निलंबित आईपीस अधिकारी जी संपत कुमार के खिलाफ तो सीबीसीआईडी जांच की मांग तक कर डाली। दिलचस्प है कि याचिकाकर्ता आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले बीसीसीआई ने मुद्गल कमेटी के सामने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बयान के ऑडियो टेप्स की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने 16 अप्रैल से पहले इस बारे में जवाब देने से इनकार कर दिया।
कड़ियों से जुड़ी हैं कडि़यां -
श्रीनिवासन ने कोर्ट से गुज़ारिश की थी कि वह 28 मार्च को दिए अपने अंतरिम ऑर्डर पर पुनर्विचार करे। श्रीनिवासन की दलील थी कि उनके ख़िलाफ़ कोई पक्का सबूत नहीं है, इसलिए उन्हें बोर्ड अध्यक्ष पद से दूर न रखा जाए। श्रीनिवासन ने निलंबित आईपीएस जी संपत कुमार को झूठा बताया है, और उनके खिलाफ जांच कराए जाने की अपील की थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि आईएस बिंद्रा और एसी मुथैया ने मुझे फंसाया है, और उनका दावा है कि मुद्गल कमेटी के सामने कई लोगों ने झूठे बयान दिए। अपनी सफाई में श्रीनिवासन ने कहा कि आईपीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर रमन पर उनका कोई कंट्रोल नहीं है।
उल्लेखनीय है कि 16 मई, 2013 को आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के मामले में राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों के साथ एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद बीसीसीआई ने तीन सदस्यों की जांच समिति बनाकर मयप्पन को जांच होने तक सस्पेंड कर दिया था।
इसके अलावा जांच पूरी होने तक बीसीसीआई में भी श्रीनिवासन की जगह जगमोहन डालमिया अंतरिम अध्यक्ष रहे। फिर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीसीसीआई की जांच समिति को गैरकानूनी बताया, और सुप्रीम कोर्ट ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
इसके बाद सितंबर में मय्प्पन पर धोखेबाज़ी, जालसाज़ी और सट्टेबाज़ी करने का आरोप लगा, लेकिन इस बीच 29 सितंबर को श्रीनिवासन दोबारा बीसीसीआई के अध्यक्ष बन गए। 8 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जज मुकुल मुद्गल की अगुवाई में तीन लोगों की जांच समिति बनाई।
फरवरी, 2014 में मुद्गल समिति ने अपनी रिपोर्ट में मय्प्पन को मुख्य आरोपी बताया, जिसके बाद मार्च, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन की जगह सुनील गावस्कर को आईपीएल की जिम्मेदारी लेने को कहा, और शिवलाल यादव को आईपीएल के बाद बीसीसीआई का अध्यक्ष पद संभालने को कहा।
इस पूरे मामले की शुरूआत से ही लोकप्रिय सीजन आइपीएन पर खतरा मंडराने लगा था, जिसे इस बार फिर से पूरे जोश-जुनून के साथ शुरू किया जा रहा है।