लेकिन हम से दूर भारत के 28वें राज्य झारखंड में एक ऐसी फुटबॉल टीम है, जिसने भारत में फुटबॉल को एक नया आयाम देने का काम किया है। यह टीम फु़टबॉल से सिर्फ प्यार नहीं करती, बल्कि इस खेल को जीती है। यह है YUWA की झारखंड टीम। इस संस्था ने झारखंड में लड़कियों के उत्थान का जिम्मा न सिर्फ पढाई के जरीए करने का काम किया है, बल्कि फुटबॉल जैसी खेल के लिए भी लड़कियों को प्रोत्साहित किया है।
नई उम्मीद बना युवा
इस टीम के साथ ही गुरिंदर चड्डा की फिल्म "बेंड इट लाइक बेकहम" जेहन में आ जाती है। जिसमें एक लड़की के फुटबॉल खेलने पर अनगिनत उंगलियां उठ जाती हैं। और उसे घरों में सिमटे रहने की कड़ी हिदायत दे दी जाती है। यहां भी दृश्य कुछ अलग नहीं है। ये वो लड़कियों हैं, जिनके लिए कभी सारे दरवाजे बंद कर दिये गए थे। लेकिन उनके लिए YUWA एक नई उम्मीद बन कर सामने आई। और लड़कियों को ऐसे माहौल से बाहर निकालकर , अनजाने ही यह संस्था भारत में बाल-विवाह और गैर-कानूनी देह व्यापार के विरोध में काम कर रहा है।
YUWA की झारखंड टीम में सम्मलित ज्यादातर लड़कियां ऐसी हैं, जिन्हें परिवार ने बीच में ही स्कूल जाने से रोक लिया या जिनकी कच्ची उम्र में ही शादी करा दी। इनमें कई लड़कियां मजदूरी भी करती हैं। लेकिन यह इन लड़कियों का आत्म विश्वास कहें या YUWA की मेहनत कि आज इन लड़कियों ने न सिर्फ अपने सपने पूरे किए, बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है।
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जुलाई 2013 में 18 लड़कियों की इस टीम को अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलने के लिए स्पेन जाने की इजाज़त मिली। और इन लड़कियों ने इस टूर्नामेंट में अपनी अद्भुत प्रतिभा दुनिया के सामने उजागर की। स्पेन से यह टीम कांस्य पदक विजेता के रूप में वापस भारत आई।
बहरहाल, फीफा के जादू में डूबे और जश्न मनाते भारतीयों के लिए समय आ गया है कि, वे भारत की इन प्रतिभाओं के लिए भी जश्न मनाए और इनके जज्बे का स्वागत करे। या यूं कह लें यदि आप फुटबॉल प्रेमी हैं तो टीवी स्क्रीन के पास अकेले बैठकर फुटबॉल का जश्न न बनाएं, बल्कि इस टीम के साथ खुशियों को शेयर करें। क्योंकि आज हमारे छोटी से छोटी मदद के जरीए भी ये लड़कियां आसमां छूने की काबिलियत रखती हैं।