मिल्खा सिंह भारत का गौरव
मिल्खा सिंह ने 1960 में रोम और फिर 1964 में टोक्यो में ओलंपिक में भाग लिया था। यह भारत के रीयल हीरो हैं।
मिल्खा सिंह को तीन बार हुआ था प्यार
मिल्खा सिंह ने इस बात पर कहा कि हां यह सच है, यह मौका हर खिलाड़ी और एथलीट की जिंदगी में आता है कि उसे हर स्टेशन पर एक प्रेमकहानी मिलती है।
मिल्खा की आग
मिल्खा सिंह ने 1960 में रोम और फिर 1964 में टोक्यो में ओलंपिक में भाग लिया था। होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होंने २००मी और ४००मी की दौड़े सफलतापूर्वक की और इस प्रकार भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे 400मी के विश्व कीर्तिमान धारक भी रहे।
गोल्ड ही गोल्ड
इन्होंने 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता और 1958 में कामनवेल्थ में गोल्ड जीता।
पद्म श्री की उपाधि से भी सम्मानित
सेवानिवृत्ति के बाद मिल्खा सिंह खेल निर्देशक पंजाब के पद पर हैं। वे पद्म श्री की उपाधि से भी सम्मानित हुए। उनके पुत्र जीव मिल्खा सिंह गोल्फ़ के खिलाड़ी हैं।