...तो प्लास्टिक के कमरों में रह रहे सीयूजे स्टूडेंट
'सेंट्रल
यूनिवर्सिटी
ऑफ
झारखंड'
का
चार
मंजिल
पीजी
हॉस्टल
'चेरी
मनातू'
में
बनकर
लगभग
तैयार
है।
मगर
स्टूडेंट
'ब्रांबे'
स्थित
अस्थायी
पीवीसी
से
बने
कमरों
में
रह
रहे
हैं।
गर्मी
में
इसकी
पीवीसी
या
प्लास्टिक
की
छत
तप
जाती
है।
वहीं
बारिश
में
कई
हॉस्टलों
में
पानी
अंदर
घुस
जाता
है।
हालांकि
15
अगस्त
2012
को
संस्थान
के
तत्कालिक
वीसी
डीटी
खटिंग
ने
घोषणा
की
कि
2013
से
पीजी
की
कक्षाएं
नए
कैंपस
में
संचालित
होंगी।
पीजी
के
स्टूडेंट्स
नए
हॉस्टल
में
शिफ्ट
होंगे।
वीसी की इस घोषणा को भी करीब दो वर्ष हो रहे हैं, पर अब भी नए कैंपस में शिफ्ट होने की संभावना काफी कम है। फंड के अभाव में सीयूजे के नए कैंपस का निर्माण इतना धीमा है कि इस वर्ष भी स्टूडेंट्स यहां रह पाएंगे, यह कहना मुश्किल है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि नए कैंपस में पीजी के स्टूडेंट्स को शिफ्ट करने की सबसे पहले तैयारी की गई थी। इसके लिए चार फ्लोर का हॉस्टल तैयार किया जा रहा था। लेकिन, फंड की कमी से इसका निर्माण भी धीमा पड़ गया है।
विवि की स्थापना मार्च 2009 में रांची से 25 किमी दूर ब्रांबे में हुई थी, तब उम्मीद थी कि जल्द छात्रों को नया कैंपस मिल जाएगा। लेकिन पहला बैच इसके इंतजार में निकल गया।