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...तो प्लास्टिक के कमरों में रह रहे सीयूजे स्टूडेंट

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Jharkhand students living in plastic rooms
रांची। हॉस्टल के रुम में रहने के बावजूद छात्रों को गर्मी तपा रही है और बरसात भीगा रही है। कुछ ऐसा हाल झारखंड के केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों का है। विश्वविद्यालय की पूरी फीस भरने के बाद भी छात्र पीवीसी निर्मित हॉस्टल के कमरों में रहने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय प्रशासन फंड की कमी का रोना रोकर सात साल से छात्रों को नए कैंपस की आस बंधा रहा है।

'सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड' का चार मंजिल पीजी हॉस्टल 'चेरी मनातू' में बनकर लगभग तैयार है। मगर स्टूडेंट 'ब्रांबे' स्थित अस्थायी पीवीसी से बने कमरों में रह रहे हैं। गर्मी में इसकी पीवीसी या प्लास्टिक की छत तप जाती है। वहीं बारिश में कई हॉस्टलों में पानी अंदर घुस जाता है। हालांकि 15 अगस्त 2012 को संस्थान के तत्कालिक वीसी डीटी खटिंग ने घोषणा की कि 2013 से पीजी की कक्षाएं नए कैंपस में संचालित होंगी।
पीजी के स्टूडेंट्स नए हॉस्टल में शिफ्ट होंगे।

वीसी की इस घोषणा को भी करीब दो वर्ष हो रहे हैं, पर अब भी नए कैंपस में शिफ्ट होने की संभावना काफी कम है। फंड के अभाव में सीयूजे के नए कैंपस का निर्माण इतना धीमा है कि इस वर्ष भी स्टूडेंट्स यहां रह पाएंगे, यह कहना मुश्किल है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि नए कैंपस में पीजी के स्टूडेंट्स को शिफ्ट करने की सबसे पहले तैयारी की गई थी। इसके लिए चार फ्लोर का हॉस्टल तैयार किया जा रहा था। लेकिन, फंड की कमी से इसका निर्माण भी धीमा पड़ गया है।

विवि की स्थापना मार्च 2009 में रांची से 25 किमी दूर ब्रांबे में हुई थी, तब उम्मीद थी कि जल्द छात्रों को नया कैंपस मिल जाएगा। लेकिन पहला बैच इसके इंतजार में निकल गया।

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English summary
In Ranchi, 'Central University of Jharkhand' s students are living in the rooms made up of plastics. After the filing fees of university students are forced to live in rooms made ​​of PVC.
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