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महाराष्ट्र पुलिस की हिरासत में दम तोड़ रहे अल्पसंख्यक

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मुंबई। आपने ऐसी बहुत सी फिल्मे देखी होंगी जिसमें पुलिस किसी निर्दोष को हिरासत में लेकर तरह तरह से टोर्चर करती है। औऱ फिर उससे वह सभी जुर्म कबूलवाने का दबाव बनाया जाता है जो उसने किया ही नहीं है....। दरअसल, फिल्में समाज का आइने की तरह काम कर रही हैं। यह सच हुआ है कि इस खुलासे के साथ कि महाराष्ट्र पुलिस की हिरासत में मरने वालों में अल्पसंख्यकों की संख्या सबसे ज्यादा है।
बम्बई हाईकोर्ट के एक आदेश के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस की हिरासत में आरोपियों से भेदभाव होता है औऱ इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस देश में नम्बर-1 है। बम्बई हाईकोर्ट तक जब इसकी भनक लगी तो इसके लिए बम्बई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को लताड़ लगाई। साथ ही कार्यशैली में सुधार लाने की और इशारा किया है।

अंसारी की संदिग्ध मौत

मार्च 2012 में ताज अंसारी अपनी दुकान से निकला ही था कि ठाणे पुलिस ने उसे अपनी हिरासत में लेकर यात्नाए दीं। एक हफ्ते बाद उसकी हिरासत में ही मौत हो गई थी। उसके मरने का कारण अटैक बताया गया था। लेकिन इससे पहले अंसारी ने अपनी मां मिलते वक्त पुलिसवालों की ओर से यातनाएं दी जानी की बात कही थी औऱ पुलिस पर पिटाई करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। अब अंसारी के पिता दीन मोहम्मद ने हाईकोर्ट को बताया है कि उन्होंने चिकित्सकों से भी बातचीत की थी। पता चला था कि ताज अंसारी को ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। अंसारी के पिता ने आरोप लगाया कि उसकी मौत पिटाई से हुई है।

मेरे पास पत्र आते थे

महाराष्ट्र अल्पसंख्य्क राज्य आयोग के अध्यक्ष मुनाफ हकीम का कहना है कि उनके पास कुछ आरोपी बनाए गए युवकों के पत्र आते थे। उसमें लिखा होता था कि उनसे जोर जबरदस्ती कर जुर्म कबूल कराने का दबाव बनाया जाता है।

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English summary
The shocking fact is that the Most of Deaths in Maharashtra Police custody is related to minorities.
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