ऐसे कारण जिनसे महाराष्ट्र में हार सकती है भाजपा?
महाराष्ट्र विधानसभा अगले महीने अक्टूबर में ही हैं। महाराष्ट्र में पंद्रह अक्टूबर को विधानसभा के वोट डाले जाएंगे और 19 को रिजल्ट आ जाएंगे। लेकिन लोकसभा चुनाव में भारी जीत से गदगद भाजपा को इससे पहले ही उपचुनावों में झटका लग गया है। बिहार, यूपी, राजस्थान औऱ उत्तराखंड में विधानसभा की सीटों गैर भाजपा पार्टियों ने कब्जा कर लिया है। उप चुनाव में कुल 23 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए जिसमें से अपनी 13 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इसे भाजपा के मनोबल के लिए बड़ा झटका समझा जा रहा है।
वहीं मोदी हवा को भी नकारा जा रहा है। महारष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या भाजपा को हार का मुह देखना पड़ सकता है या सभी कयासों को दरकिनार करते हुए भाजपा जीत जाएगी। जानिए ऐसे कारण जिनसे भाजपा हार सकती है औऱ ऐसे कारण जिनकी वजह से भाजपा जीत भी सकती है।
कारण-1
लव जिहाद एक ऐसा मुद्दा माना जा रहा है। जो भाजपा सरकार आते ही आरएसएस और भाजपा से जुड़े हिंदूवादी संगठनों ने पुरजोर तरीके से उठाया। जबकि भाजपा के ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसपर चुप्पी साधकर यह जता दिया कि अंदर ही अंदर कुछ पक रहा है। इस मुद्दे से धार्मिक, समाजिक या विशेष तौर पर आधुनिक युवा वर्ग विचलित हुआ है। जिसका फर्क दिखा और भी दिख सकता है।
हारने की आशंका -2
महाराष्ट्र में ही नहीं, पूरे देश में शिवसेना की छवि ऐसी बन चुकी है कि वह तानाशाही है। शिवसेना का उग्र रूप लोगों को विचलित कर देता है। और भाजपा शिवसेना के साथ गठबंधन में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
हारने का कारण
भाजपा के सांसदों और विधायकों की ओर से लगातार कट्टरता को दर्शाने वाले और सांप्रदायिक भावना को चोट पहुंचाने वाले बयानों का सिलसिला जारी रहना। इससे समाज के विशष समुदाय से भाजपा की बनी-बनी बनाई करीबी दूरी में तब्दील हो सकती है। खासकर, अल्पसंख्यक समुदाय में निराशा है। महाराष्ट्र चुनाव में इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
हारने का कारण-4
लगातार यौन शोषण की घटनाओं पर लगाम नहीं लगने से महिलाओं में असुरक्षा का भाव आया है। जिससे लग रहा है कि महिलाओं की मतदान करने में और सरकार के प्रति नजरिया नकारात्मक बन सकता है।
इससे भी मतदाता बिखर सकता है
उत्तर-प्रदेश, बिहार, राजस्थान और उत्तराखंड में हुए उपचुनावों में भाजपा की हार से भाजपा की तरफ खिंच कर आए मतदाताओं को का रुख बदल सकता है। उनके मन में भाजपा के प्रति आशंका उभर सकती है।
जीतने की वजह सिर्फ
नरेंद्र मोदी के प्रति सहानुभूति रखने वाला तबका वोट करेगा। दूसरा ऐसा तबका जो सिर्फ निर्णयों से खुश हो गया है। यह लागू कब होंगे इसकी चिंता भले ही न हो।