लखनऊ में वाजपेई की विरासत को आगे बढ़ाएंगे राजनाथ
पढ़ें- 2014 के शीर्ष उम्मीदवार
राजनाथ सिंह वर्तमान बीजेपी सांसद लालजी टंडन की जगह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। लखनऊ में 450,000 मुसलमान, 350,000 ब्राहमण, 150,000 वैश्य, 125,000 कायस्थ, 100,000 यादव और दलित, 60,000 ठाकुर और उत्तराखंड के 175,000 लोगों की मिली-जुली आबादी है। साल 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में यहां से बीजेपी के लालजी टंडन ने 2 ,04,028 वोट्स हासिल कर कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को शिकस्त दी थी।
कौन
हैं
राजनाथ
सिंह
बीजेपी
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
राजनाथ
सिंह
वर्तमान
में
गाजियाबादी
संसदीय
क्षेत्र
का
प्रतिनिधित्व
करते
हैं
और
उन्होंने
यहां
से
तीन
बार
जीत
दर्ज
की
है।
लखनऊ
हमेशा
से
पूर्व
प्रधानमंत्री
अटल
बिहारी
वाजपेई
का
संसदीय
क्षेत्र
रहा
है।
बुधवार
को
राजनाथ
सिंह
ने
लखनऊ
में
अपने
चुनावी
अभियान
की
शुरुआत
की।
इस
दौरान
उनके
साथ
वाजपेई
के
निजी
सहायक
शिव
कुमार
और
सांसद
लालजी
टंडन
भी
थे।
मीडिया
से
बातचीत
में
राजनाथ
सिंह
ने
कहा
कि
वह
वाजपेई
के
ससंदीय
क्षेत्र
से
चुनाव
लड़ने
के
लिए
लखनऊ
आए
हैं।
राजनाथ
सिंह
ने
खुद
को
वाजपेई
का
उत्तराधिकारी
बताया
और
कहा
कि
वह
लखनऊ
को
बायोटेक
सिटी
में
तब्दील
कर
वाजपेई
का
एक
सपना
पूरा
करना
चाहते
हैं।
पाटी
सूत्रों
की
मानें
तो
राजनाथ
सिंह
का
लखनऊ
से
चुनाव
लड़ना
यहां
के
ओबीसी,
अपर
कास्ट
और
शिया
समुदाय
के
वोट
को
हासिल
करने
की
रणनीति
का
हिस्सा
है।
कौन
हैं
रीता
बहुगुणा
जोशी
उत्तर
प्रदेश
कांग्रेस
कमेटी
की
अध्यक्ष
डॉक्टर
रीता
बहुगुणा
जोशी
की
जीत
ब्राहमण
वोट
बैंक
पर
निर्भर
है।
वह
उत्तर
प्रदेश
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
हेमवती
नंदन
बहुगुणा
की
बेटी
और
उत्तराखंड
के
पूर्व
सीएम
विजय
बहुगुणा
की
बहन
हैं।
पेशे
से
एक
टीचर
रीता
हमेशा
से
ही
महिला
अधिकारों
और
उनके
सशक्तीकरण
की
आवाज
उठाती
आई
हैं।
रीता
का
मानना
है
कि
जब
समाज
में
महिलाएं
सुरक्षित
नहीं
महसूस
करेंगी
तब
तक
सामाजिक
शांति
और
सौहार्द
की
कल्पना
करना
बेमानी
है।
रीता
बहुगुणा
जोशी
को
15
जुलार्इ
2009
में
उस
समय
की
मुख्यमंत्री
मायावती
और
दलित
विरोधी
टिप्पणी
करने
के
एवज
में
गिरफ्तार
किया
गया
था।
बाद
में
उन्होंने
अपनी
टिप्पणी
के
लिए
माफी
मांग
ली
थी।
इतना
ही
नहीं
रीता
ने
उनके
घर
में
आग
लगने
की
घटना
की
सीबीआई
जांच
की
भी
मांग
की
थी।
कौन
हैं
अभिषेक
मिश्रा
आईआईएम
लखनऊ
से
ग्रेजुएट
और
कैंब्रिज
विश्वविद्यालय
से
पीएचडी
हासिल
करने
वाले
अभिषेक
को
समाजवादी
पार्टी
ने
गुरुवार
को
डॉक्टर
अशोक
वाजपेई
की
जगह
लोकसभा
का
टिकट
दिया
है।
अभिषेक
को
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
का
काफी
करीबी
माना
जाता
है।
अभिषेक
की
छवि
समाजवादी
पार्टी
के
'पोस्टर
ब्वॉय'
के
तौर
पर
है।
अभिषेक
की
लोकप्रियता
को
देखते
हुए
ही
पार्टी
ने
उन्हें
अशोक
वाजपेई
की
जगह
टिकट
देने
का
फैसला
किया
ताकि
पार्टी
राजनाथ
सिंह
जैसे
उम्मीदवार
का
मुकाबला
कर
सके।
उत्तर
प्रदेश
सरकार
में
साइंस
एंड
टेक्नोलॉजी
मंत्री
अभिषेक
ने
साल
2012
में
उत्तर
प्रदेश
में
हुए
विधानसभा
चुनावों
में
लखनऊ
नॉर्थ
से
विशाल
जीत
दर्ज
की
थी।
क्या
सोचते
हैं
विशेषज्ञ
बीजेपी
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
राजनाथ
सिंह
का
गाजियाबाद
में
पिछला
रिकॉर्ड
देखते
हुए
कहा
जा
सकता
है
कि
उन्हें
चुनावों
में
आसान
जीत
हासिल
हो
सकती
है।
इसके
अलावा
जिस
तरह
से
उन्होंने
वाजपेई
की
विरासत
को
आगे
बढ़ाने
की
बात
कही,
वह
उनके
पक्ष
में
जा
सकती
है।
पिछले
23
वर्षों
से
लखनऊ
की
सीट
पर
बीजेपी
का
कब्जा
रहा
है।
वहीं
अगर
रीता
बहुगुणा
जोशी
की
बात
की
जाए
तो
राजनाथ
सिंह
को
वह
कोई
मुश्किल
चुनौती
पेश
कर
सकेंगी,
ऐसा
नजर
नहीं
आता।
साल
2009
में
वह
लालजी
टंडन
से
चुनाव
हार
गई
थीं
और
राजनाथ
सिंह
की
लोकप्रियता
लालजी
टंडन
के
मुकाबले
कहीं
ज्यादा
है।
हालांकि
अभिषेक
मिश्रा
जरूरी
इन
चुनावों
का
सरप्राइज
पैकेज
साबित
हो
सकते
हैं।