हां, बुंदेलखंड अब तो बन सकता है अलग राज्य!
दो प्रदेशों में विभाजित बुंदेलखंड पिछले कई दशकों से सूखा व प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलता आया है। कभी 'लाल सलाम' यानी वामपंथियों का गढ़ रहे इस क्षेत्र की चारों लोकसभा सीटों पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार विजयी हुए हैं। केंद्र की 'अच्छे दिन' वाली सरकार में उमा भारती को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है। ऐसे बुंदेली जनता के 'अच्छे दिन' अगर अब नहीं आए तो कब आएंगे?
उमा तकरीबन अपनी हर चुनावी जनसभा में मोदी की सरकार बनने पर बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की घोषणा करती रही हैं। यही वजह है कि यहां के लोगों को अलग राज्य बनने की उम्मीद जगी है।
करीब दो दशकों से यहां के लोग विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के साथ जुड़कर पृथक राज्य की मांग करते आए हैं। फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला ने तो पूरे इलाके में पदयात्रा तक निकाल चुके हैं और अब पृथक राज्य की शर्त पर ही वह भाजपा में भी शामिल हुए थे।
कुछ लोगों का हालांकि यह भी मानना है कि उमा भारती जब महोबा की चरखारी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ी और जीती थीं, तब उन्होंने इस क्षेत्र को 'उत्तर प्रदेश का कश्मीर' बनाने का वादा किया, लेकिन वहां कोई परिवर्तन नहीं हुआ। ऐसे में संशय भी है कि पृथक राज्य का वादा 'दीदी' कहीं भूल तो न जाएंगी?
फिल्म अभिनेता से नेता बने राजा बुंदेला का कहना है, "उमा भारती भाजपा की तेज-तर्रार नेता हैं, अब वह मोदी सरकार का हिस्सा बन चुकी हैं। वह जो कहती हैं, करती भी हैं। जल्द ही बुंदेलखंड को पृथक राज्य का दर्जा मिलने की संभावना है।"
बांदा के भाजपा जिलाध्यक्ष बालमुकुंद शुक्ला का कहना है कि भाजपा शुरू से ही छोटे राज्यों की पक्षधर रही है, अटल सरकार में झारखंड, छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड राज्य बने हैं, अब बुंदेलखंड भी अलग राज्य बन कर ही रहेगा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बसपा विधायक दल के उपनेता और बांदा जिले की नरैनी सीट से विधायक गयाचरण दिनकर का कहना है, "बसपा सरकार में बहन जी (मायावती) ने प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेज चुकी हैं, अब मोदी सरकार को इस पर तत्काल अमल करना चाहिए।"
मगर उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के बबेरू विधायक विश्वंभर सिंह यादव का कहना है कि सपा किसी भी दशा में प्रदेश का विभाजन नहीं होने देगी।
राजनीतिक विश्लेषक और बुजुर्ग अधिवक्ता रणवीर सिंह चौहान भी उमा भारती के वादे पर भरोसा नहीं करते। उनका कहना है, "चरखारी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते वक्त उमा ने इस क्षेत्र को 'उत्तर प्रदेश का कश्मीर' बनाने का वादा किया था, कश्मीर बनाना तो दूर, वह अक्सर विधानसभा सत्र से गायब ही रहीं, ऐसे में बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाने के उनके वादे पर कैसे भरोसा किया जाए?"
क्षेत्र की जनता को मगर पूरी उम्मीद है कि अच्छे दिन जरूर आएंगे। वे तो उंगलियों पर दिन गिन रहे हैं। मंत्री उमा क्षेत्र में कदम रखेंगी तो वे पूछने से शायद नहीं चूकेंगे कि दीदी आपके वादे का क्या हुआ?
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।