नहीं जाना पड़ेगा विक्की डोनर के पास, त्वचा से निकलेंगे शुक्राणु
खबर से पहले गंभीर तथ्य- क्या आप जानते हैं भारत के 1.90 करोड़ दंपत्ति निसंतान हैं। कारण बांझपन और नपुंसकता है। वहीं अगर क्विक रिसर्च के डाटा पर विश्वास करें तो यह संख्या 3 करोड़ है। इससे भी बड़ा तथ्य यह है कि मात्र 0.1 प्रतिशत लोग ही हैं जो आईवीएफ जैसी टेक्नोलॉजी का लाभ उठा पाते हैं। नपुंसकता एवं बांझपन से जुड़े गंभीर तथ्य।
त्वचा से शुक्राणु- अमेरिका के मोंटाना स्टेट विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ सेल बायोलॉजी एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन शोधकर्ताओं ने नई खोज की है, जिसके अंतर्गत नपुंसक पुरुषों के स्पर्म को कृत्रिम ढंग से तैयार किया जा सकेगा। वो भी त्वचा की सेल से।
संस्थान के रिनी रीजो पेरा ने मीडिया को बताया कि यह रिसर्च एक चूहे पर की गई और उसमें सफलता प्राप्त हुई है। चूहे की त्वचा से प्लूरिपोटेंट स्टेम सेल निकाले गये और उन्हें स्पर्म सेल में परिवर्तित करके चूहे की टेस्टिस में ट्रांसप्लांट कर दिये गये। इस प्रकार नपुंसक चूहा भी फरटाइल हो गया।
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शोधकर्ताओं ने उसके बाद यह एक्सपेरीमेंट एक पुरुष पर किया और उसकी त्वचा की कोशिकाओं को लेकर क्लीनिक में ही एक डिश में उसके स्पर्म तैयार कर दिये। हालांकि अभी तक पुरुष की टेस्टिस में वो स्पर्म ट्रांसप्लांट नहीं किये गये। लेकिन शोधकर्ताओं को विश्वास है कि वो ऐसा करके पुरुष को फरटाइल बना सकते हैं।
शोधकर्ता का कहना है कि इससे न केवल नपुंसकता के शिकार पुरुषों को पिता बनने का सुख प्राप्त होगा बल्कि फरटाइल पुरुष अपने शुक्राणुओं की क्वालिटी भी बढ़वा सकते हैं।
आईवीएफ टेक्नोलॉजी तो दुनिया भर में बहुत महंगी है, इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से बच्चे पैदा करने में कितना खर्च आयेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा।