सीरिया और ISIS बन गए दुनिया भर के पत्रकारों का काल
न्यूयॉर्क।
न्यूयॉर्क
में
पत्रकारों
के
लिए
काम
करने
वाली
संस्था,
कमेटी
टू
प्रोटेक्ट
जर्नलिस्ट
(सीपीजे)
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
वर्ष
2014
में
पत्रकारों
की
हत्या
की
संख्या
में
इजाफा
हुआ
है।
इस
रिपोर्ट
के
मुताबिक
दुनिया
के
अलग-अलग
हिस्सों
में
मारे
गए
पत्रकारों
में
करीब
एक
चौथाई
पत्रकारा
इंटरनेशनल
जर्नलिस्ट
के
तौर
पर
थे।
मंगलवार को जारी हुई रिपोर्ट
कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे पत्रकार जिन्हें धमकी दी गई, उनमें स्थानीय पत्रकारों की संख्या सबसे ज्यादा है। सीपीजे की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में मारे जाने वालों में एसोसिएट प्रेस का एक फोटो जर्नलिस्ट अंजा नैडरिंगउस भी शामिल हैं। अंजा की अफगानिस्तान चुनाव के समय कवरेज के दौरान हत्या कर दी गयी थी।
यह रिपोर्ट सीपीजे ने मंगलवार को जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 में मारे गये पत्रकारों की संख्या पिछले वर्ष मारे गये पत्रकारों की संख्या से 70 कम है। लेकिन जब से इस कमेटी ने इन आंकड़ों को रखना शुरू किया है, तब से ही पिछले तीन वर्षों में यह सबसे खतरनाक स्तर पर है। कमेटी ने वर्ष 1992 के बाद पत्रकारों की हत्या के आंकड़ों को सहेजना शुरू किया था।
सीरिया और ISIS सबसे बड़ी वजह
सीपीजे की रिपोर्ट में साफ है कि अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका सीरिया का सिविल वॉर सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से पत्रकारों की हत्या में इजाफा हो रहा है।
सीरिया में वर्ष 2014 में 17 पत्रकारों की हत्या हुई। वर्ष 2011 में जब से वहां पर सिविल वॉर शुरू हुआ तब से लेकर अब तक करीब 79 पत्रकार मारे जा चुके हैं।
सीरिया में ही इस वर्ष आईएसआईएस ने अमेरिका के फ्रीलांस जर्नलिस्ट जेम्स फोले और स्टीवन सोटलोफ की सिर काटकर हत्या कर दी थी। जेम्स और स्टीवन दोनों ही सिविल वॉर के दौरान रिपोर्टिंग करते समय गायब हो गए थे।
इराक में, कम से कम पांच पत्रकारों की हत्या हुई। इनमें से तीन की मौत आईएसआईएस के खिलाफ चलाए गए अभियान की कवरेज के दौरान हुई।