यूनाइटेड नेशंस की चेतावनी, भारत में क्लाइमेट चेंज की वजह से भूख से होंगी मौंते
तो
होगा
युद्ध
इस
रिपोर्ट
में
वैज्ञानिकों
ने
बताया
है
कि
कई
देशों
में
आइस
कैप्स
पिघलते
जा
रहे
है,
आर्कटिक
में
बर्फ
तेजी
से
पिघल
रही
है
है,
पानी
की
आपूर्ति
पर
खासा
असर
पड़ने
वाला
है,
गर्मी
और
तेज
बारिश
आने
वाले
दिनों
में
और
सताएगी,
समुद्र
के
अंदर
स्थित
कई
प्रजातियां
जैसी
मछलियां
और
दूसरे
जीव-जंतु
खत्म
होने
की
कगार
पर
हैं।
समुद्रों
का
स्तर
बढ़ता
जा
रहा
है
जिसकी
वजह
से
तटीय
समुदायों
पर
भी
खतरा
दोगुना
हो
गया
है।
इसके
अलावा
समुद्रों
का
बढ़ता
जलस्तर
इसलिए
भी
खतरनाक
है
क्योंकि
यह
कार
और
दूसरे
पावर
प्लांट्स
से
निकलने
वाली
कार्बन
डाइ
ऑक्साइड
को
आसानी
से
ऑब्जर्व
कर
लेता
है।
रिपोर्ट की मानें तो आर्कटिक पर स्थित ऑर्गैनिक सतह तो जमी हुई थी अब पिघलना शुरू हो चुकी है। रिपोर्ट की मानें तो यह कुछ भी नहीं है और अभी इससे भी ज्यादा बुरा होना बाकी है। इस पैनल की ओर से तीन रिपोर्ट जारी की गई हैं जिनमें से दूसरी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने लिखा है कि गरीब देशों को सप्लाई होने वाले खाद्यान्नों पर क्लाइमेट चेंज का असर दिखेगा और यह आपूर्ति अगले कुछ वर्षों के अंदर खतरे में पड़ती नजर आ रही है। इसकी वजह से गरीब देशों में रहने वाले लोगों को भूखों मरने के लिए तैयार रहना होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक 21वीं सदी में क्लाइमेट चेंज की वजह से इकोनॉमिक ग्रोथ रुक जाएगी और गरीबी को खत्म करने में और मुश्किलें आएंगी। इसकी वजह से खाद्यान्न सुरक्षा कम हो जाएगी और नए गरीब तबकों का जन्म होगा। खास बात है कि शहरी इलाकों में हालात और भी खराब होने वाले हैं और यह इलाके भूख के अहम इलाके होंगे। लोगों में लड़ाई-झगड़े बढेंगे और जमीन एवं दूसरे संसाधनों की वजह से समाज में तनाव बढ़ेगा। रिपोर्ट की मानें तो इन सबके पीछे क्लाइमेट कंट्रोल अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार होगा। साथ ही गरीबी और आर्थिक झटकों को झेलने को तैयार रहना होगा।