एक प्रेरक दास्तानः एक छोटे से बच्चे ने ही कर दिया था ईमेल का अविष्कार
वाशिंगटन। ईमेल जैसा आधुनिक हत्यार। जिसके मोहताज आज भारत ही नहीं, विश्व के युवा होते जा रहे हैं। जिसके बिना कॉरपोरेट वर्ल्ड में करोड़ों-अरबों की डील रुक जाती हैं, जो दूर बैठकर भी आसानी से एक क्लिक के सहारे अपने करीबी तक चिट्ठी भेजने की विकल्प देती है। पता इसका अविष्कार किसने किया था। नहीं पता तो आपको बता तें हैं। दरअसल, इसका अविष्कार एक चौदह वर्ष के बड़ी सोच रखने वाले बच्चे ने किया था। और वही विकीपीडिया के अनुसार वही बच्चा अब पचास वर्ष का हो गाय है।
भारत से कभी नाता रखने वाले वीए शिवा अय्यदुरई बत्तीस साल के हो गए हैं। इन्होंने ही ईमेल जैसी प्रभावी सर्विस का अविष्कार किया था। इन्हें चौदह वर्ष की आयु में ही एक अविष्कार का खिताब अमेरिका की ओर से दिया चुका है। शिवा ने जब ईमेल का अविष्कार किया तो वह काफी छोटे थे। अमेरिकी सरकार ने 30 अगस्त 1982 को अय्यदुरई को आधिकारिक रूप से ईमेल की खोज करने वाले के रूप में मान्यता दी और 1978 की उनकी खोज के लिए पहला अमेरिकी कापीराइट दिया। उस समय सॉफ्टवेयर खोज की सुरक्षा के लिए कापीराइट एकमात्र तरीका था।
वर्ष 1978 में अय्यदुरई ने कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया जिसे 'ईमेल' कहा गया। इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स आदि सभी कुछ था। हफिंगटन पोस्ट के अनुसार एर्पोनेट, एमआईटी या सेना जैसे बड़े संस्थानों ने ईमेल की खोज नहीं की। इस प्रकार के संस्थानों का मानना था कि इस प्रकार की प्रणाली तैयार करना मुश्किल ही था। जो इस युवक ने संभव कर दिखाया।
तमिल परिवार से तालुकात इनके
क्या आपोक पता है कि अय्यदुरई का जन्म मुंबई में एक तमिल परिवार में हुआ था। सात वर्ष की आयु में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गए थे। जब वह चौदह वर्ष हुए तो उन्होंने दूर तक सोचना शुरू कर दिया था। 14 वर्ष की आयु में उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के अध्ययन के लिये न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के कोरैंट इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमैटिकल साइसेंज में विशेष 'समर' कार्यक्रम में हिस्सा लिया। बाद में स्नातक के लिए न्यूजर्सी सिथत लिविंगस्टन हाई स्कूल गए। इसके बाद भी वह नहीं रुके। फिर वह हाई स्कूल में पढ़ाई करने के साथ उन्होंने न्यू जर्सी में यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसीन एंड डेनटिस्ट्री में रिसर्च फेलो के रूप में काम करने लगे। जिसके बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई।