मां को आया बेटे का सपना और माफ कर दिया बेटे के कातिल को
मां ने जिस वक्त यह फैसला लिया, उस वक्त हत्यारे का चेहरा काले कपड़े से ढंका जा चुका था और फांसी की रस्सी भी गले में बांध दी गई थी। केवल उसके पैर के नीचे लगी कुर्सी हटाने भर की देर थी।
बलाल अब्दुल्लाह ने सात साल पहले सड़क पर हुए एक झगड़े में अब्दुल्लाह होस्सिनजादेह की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। अब्दुल्लाह के माता-पिता ने गत मंगलवार को बलाल को फांसी की सजा अचानक माफ कर दी।
खबरों के अनुसार, बलाल को फांसी देने से कुछ क्षण पहले ही अब्दुल्ला की मां फांसी के तख्त के पास पहुंची और हत्यारे को एक जोरदार थप्पड़ मारा।
उसके बाद उसने बलाल के गले से फांसी का फंदा निकाल दिया। इसमें अब्दुल्लाह के पिता ने भी मदद की। पीड़ित के पिता अब्दुल्घानी होस्सिनजादेह ने कहा कि उनकी पत्नी ने यह फैसला तीन दिन पहले बेटे के सपने में आने के बाद लिया।
उन्होंने बताया कि सपने में अब्दुल्लाह ने अपनी मां से कहा कि वह जहां भी है, खुश है। उसने मां से मौत का बदला न लेने की बात भी कही। उन्होंने इसे बलाल का नसीब समझा और यह फैसला किया कि उसने जानबूझकर उनके
बेटे को नहीं मारा था। इसलिए उसे माफ कर दिया जाए। किसास के नियम (आंख के लिए आंख), शरिया प्रतिशोध कानून के अनुसार पीड़ित के परिवार को अपने बेटे के हत्यारे की सजा के बारे में फैसला करने का अधिकार है।