क्या गारंटी है कि किताब में सब सच लिखेंगी सोनिया गांधी?
यह हम नहीं वो खुद कह रही हैं, लेकिन उस किताब में उनकी बातें कितनी सच होंगी इसकी क्या गारंटी है?
आवेश में आकर किताब लिखना तो साहित्य से खिलवाड़ जैसा ही है, फिर चाहे वो अंग्रेजी में लिखी जाये या फिर हिंदी में या इटैलियन भाषा में! आपकी किताब सिर्फ इसलिये बिक जायेगी क्योंकि आप एक सेलेब्रिटी हैं, यह सोच कर किताब लिखना भी पाठकों के साथ धोखे से कम नहीं।
सोनिया गांधी से पांच सवाल
- अगर वाकई में उनके पिटारे में ढेर सारे सच भरे हुए हैं, तो अब तक उन्होंने जनता के सामने वो सच क्यों नहीं रखे?
-
सोनिया
जी
अगर
आप
वाकई
में
किताब
लिखने
की
इच्छा
रखती
हैं,
तो
नटवर
जैसे
बमों
का
जवाब
देने
के
लिये
ही
क्यों?
- क्या आप जानती हैं आवेश में काम करते वक्त आपकी किताब में शब्दों की मालाएं नहीं बल्कि भड़ास होगी विरोधी नेताओं के प्रति?
- अगर नटवर सिंह की किताब झूठी है, तो क्या गारंटी है कि आप अपनी किताब में एक-एक बात सच लिखेंगी?
- खैर चलिये सच लिखेंगी भी, तो क्या आप यूपीए के कार्यकाल में हुए घोटालों से जुड़े सारे सच दुनिया के सामने लायेंगी?
किताब के साथ न्याय नहीं कर पायेंगी सोनिया
खैर सच पूछिए तो किताबी बम से परेशान सोनिया गांधी अपनी खुद की किताब के साथ कभी न्याय नहीं कर पायेंगी, क्योंकि अगर वाकई में न्याय करना होता तो वो जनता के साथ यूपीए के शासनकाल में करतीं, जब उनके मंत्री एक के बाद एक घोटाले कर रहे थे।
गौर तलब है कि पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रेस सलाहकार रह चुके संजय बारू की किताब और अब नटवर सिंह की किताब में लगाए आरोपों का जवाब पार्टी को देना पड़ रहा है। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी किताब 'वन लाइफ इज नॉट एनफ' में दावा किया है कि सोनिया सरकारी फाइलें देखती थीं।
वोल्कर रिपोर्ट में आया था नटवर का नाम
इराक में सद्दाम हुसैन के पतन के बाद 2005 में सामने आई वोल्कर रिपोर्ट में नटवर सिंह का नाम भी उछला था और उस विवाद के बाद पहले सरकार से और फिर कांग्रेस से वे 'लापता' हो गए।
लंबे समय तक खामोश रहने के बाद नटवर सिंह ने अब अपनी किताब से कांग्रेस पर हमला किया है और करीब उन्हीं आरोपों को सही ठहराने की कोशिश की है जो उनके बेटे की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगाती रही है। उनके बेटे इन दिनों राजस्थान में भाजपा के विधायक हैं।
क्या कहा मनमोहन सिंह ने
नटवर सिंह के आरोपों से रंज पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां यह कहा कि निजी स्तर के संवाद का आर्थिक लाभ के लिए दुरुपयोग किया जाना उचित नहीं है, वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि किताब की व्यावसायिक सफलता के लिए इस तरह की सनसनी पैदा करना लाजिमी है।