क्या नरेंद्र मोदी पाकिस्तान जाएंगे?
भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में यह नहीं बताया कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ कैसे निपटा ? घोषणा पत्र में यह भी नहीं अंकित किया गया कि पाकिस्तान देश के साथ कैसी विदेश नीति तय की जाएगी?
आतंकवाद को पाकिस्तान से अलग कर सिर्फ नए कानून को बना देने की बात कहने से अब राजनीति की सियासत एक बार फिर से गर्मा गई है। कांग्रेस ने भाजपा के घोषणा पत्र को सांप्रदायिक करार देते हुए कहा है कि क्या नरेंद्र मोदी अकेले ही पाकिस्तान के मुद्दे पर फैसला लेंगे? दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि क्या नरेंद्र मोदी स्वयं को हिंदुत्व से बढ़कर देख रहे हैं।
ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो पता चलेगा कि हिंदुत्व के समर्थक और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने 6 वर्ष के कार्यकाल में दो बार पाकिस्तान के दौरे पर गए जबकि प्रधानमात्री डा मनमोहन सिंह अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में एक बार भी पाकिस्तान के दौरे पर नहीं गए। सवाल बड़ा पेचीदा है लेकिन अब इसका फैसला चुनाव बाद ही देखने को मिलेगा।
कैसे होंगे नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ के रिश्ते
भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव 2014 का घोषणा पत्र जारी करते हुए आतंकवाद को बर्दाश्त न किए जाने की बात कही गई लेकिन इस बात जिक्र कतई नहीं किया गया कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद को बढावा देती है तो उसके खिलाफ क्या सार्थक और कड़े कदम उठाए जाएंग ? कांग्रेस ने इस मामले को तूल पकड़ा दिया है जिसके बाद अन्य राजनीतिक पार्टियां कहने लगी हैं कि क्या पाकिस्तान के मुद्दे पर अकेले नरेंद्र मोदी फैसला लेंगे?
क्या पाकिस्तान पर लिया जाने वाला फैसला घोषणा पत्र से बाहर का बिंदु? कयास लगाया जाना शुरु हो गया है कि यदि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो नवाज शरीफ के साथ उनके कैसे संबंध होंगे एवं किस प्रकार की विदेश नीति पाकिस्तान के नलए भारत तय करेगा?