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क्‍या जिनपिंग के सामने अक्‍साई चिन पर बात करने की हिम्‍मत दिखाएंगे मोदी

By Vivek
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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला)भारत-चीन संबंधों को मजबूती देने के लिए चीन के राष्ट्रपति बुधवार को भारत दौरे पर आ रहे हैं।

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यह मौका है जब चीन से उसकी तरफ से 1962 की जंग के समय हड़पी जमीन को वापस करने की मांग करे। इस बाबत 14 नवंबर,1962 को संसद ने एक प्रस्ताव भी पारित किया था।

बेहद खास दिन है। जवाहर लाल नेहरु उस दिन किसी की भी उन्हें जन्म दिन प्रस्ताव को 8 नवंबर,1962 को लोकसभा में रखा गया था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने प्रस्ताव रखा था। चीन ने 1962 की जंग में अक्सईचिनको कब्जा लिया था।

प्रस्ताव में कहा गया था- 'ये सदन पूरे विश्वास के साथ भारतीय जनता के संकल्प को दोहराना चाहता है कि भारत की पवित्र भूमि पर से आक्रमणकारी को खदेड़ दिया जाएगा।'

लंबे संघर्ष के लिए तैयार देश

इस बाबत भले ही कितना लंबा और कठोर संघर्ष करना पड़े। अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा शुरू होने जा रही है तो सवाल पूछा जा रहा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद के पांच दशक पहले पारित प्रस्ताव के बारे में चीनी नेता से बात करेंगे ?

याद दिला दें कि प्रस्ताव को सदन में रखने के बाद नेहरु ने बोलना शुरू किया। चीन से मिली शमर्नाक हार के कारण देश नौराश्य में डूबा हुआ था। उसकी कहीं न कहीं अभिव्यक्ति सदन के माहौल में भी महसूस हो रही थी।

नेहरु प्रस्ताव पर बोलने लगे। उन्होंने कहा, 'मुझे दुख और हैरानी होती है कि अपने को विस्तारवादी शक्तियों से लड़ने का दावा करने वाला चीन खुद विस्तारवादी ताकतों के नक्शेकदम पर चलने लगा।'

बहरहाल इतना लंबा वक्त गुजरने के बाद भी चीन ने हमारे अक्सईचिन पर अपना कब्जा जमाया हुआ है। क्या आपको मालूम है कि चीन की तरफ से कब्जाये हुए इलाके का क्षेत्रफल कितना है ? ये 37,244 वर्ग किलोमीटर है।

वरिष्ठ लेखक और संपादक अरुण शौरी कहते हैं कि जितना क्षेत्रफल कश्मीर घाटी का है,उतना बड़ा है अक्सईचिन।

सवाल उठता है कि क्या हमारे जो नेता चीन के शिखर नेताओं से मुलाकात के वक्त अक्सईचिन के मसले को उठाते हैं? क्या कभी किसी भारतीय राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ने अपने चीनी समकक्ष से पूछा कि उनका देश अक्सईचिन को कब खाली करेंगा? तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग समझौता (बीडीएस) हुआ।

इसके तहत दोनों देशों की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलेसी) पर एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई से बचेंगी। इसे मीडिया एतिहासिक बता रहा था। हो सकता है कि ये एतिहासिक हो।

मोदी बात करें

बड़ा सवाल यह है कि आखिर उस भूमि का क्या हुआ जिसे चीन ने हड़प रखा है ? क्या इस मसले पर हमारे प्रधानमंत्री बात करने की हिम्मत जुटाएंगे ? क्या संसद का वह ध्वनिमत से पारित प्रस्ताव धूल खाता रहेगा जिसमें देश का संकल्प है कि चीन द्वारा हड़पी देश की भूमि को वापस लिया जाएगा ?

आखिर कब देश अपने संकल्प को अमली जामा पहनाएगा। क्या देश उम्मीद करे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सईचिन पर संसद के प्रस्ताव को लागू कर पाएंगे ?

English summary
As president of China Xi Jinping is arriving to India, experts feel Indian Prime Minister Narendra Modi should discuus the issue of Aksai Chin with Jinping.
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