नरेंद्र मोदी के न्योते को ठुकाया तो बहुत पछतायेंगे नवाज शरीफ, पर क्यों?
[अजय मोहन] भारत के नविनिर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया है। दुनिया भर के लोगों की निगाहें शरीफ के जवाब पर टिकी हुई हैं। वहीं भारत के अंदर तमाम लोग इस बात का विरोध भी कर रहे हैं, और कह रहे हैं कि दुश्मन देश के पीएम को बुलाने की ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी। खैर भारत में शरीफ को लेकर क्या चल रहा है, यह बाद की बात है, लेकिन पाकिस्तान के लिये नरेंद्र मोदी का यह न्योता कितना महत्वपूर्ण है, यह सोचने वाली बात है।
जो बातें हम आपको बताने जा रहे हैं, उनसे तो साफ है कि मोदी के न्योते को ठुकराने की नवाज शरीफ के पास एक भी वजह नहीं होनी चाहिये। क्योंकि भारत-पाक के रिश्तों में सुधार होने पर भारत से कहीं ज्यादा फायदा खुद पाकिस्तान का है, बशर्ते वो आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे।
यह बात हमने किसी कूटनीतिक एनालिसिस के रूप में नहीं कही है, बल्कि ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली की एक रिपोर्ट के आधार पर कही है। फाउंडेशन से जुड़े शोधकर्ता विल्सन जॉन और आर्यमान भटनागर की यह रिपोर्ट वो तथ्य उजागर करती है, जो पाकिस्तान को भारत से दोस्ती के लिये बाध्य करती है।
आइये स्लाइडर में एक नजर डालें इस रिपोर्ट के पांच तथ्यों पर, जो शरीफ के लिये भारत आने का कारण बन सकते हैं।
भारत एक मात्र मजबूत पड़ोसी
शोधकर्ताओं के अनुसार पाकिस्तान को यह बात समझनी होगी कि भारत ही एक मात्र मजबूत पड़ोसी है। अगर पश्चिम दिशा में लगे हुए देशों की बात करें, तो वो सारे देश अपनी खुद की समस्याओं से ग्रसित हैं, पाकिस्तान का क्या भला करेंगे।
तुर्कमिनिस्तान से भारत तक गैस पाइपलाइन
तुर्कमिनिस्तान से भारत तक आने वाली तुर्कमिनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-इंडिया (TAPI) गैस पाइपलाइन इन चारों देशों के लिये महत्वपूर्ण है। इसके बनने के बाद चारों की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
पाकिस्तान की जीडीपी
शरीफ का सबसे बड़ा टेंशन पाकिस्तान की जीडीपी है, जो लगातार गिर रही है। 2010 में न्यूनतम स्तर तक चली गई, फिर उठी, लेकिन 2013 में फिर गिर गई। इसे उठाने में भारत अच्छा दोस्त साबित हो सकता है।
पाकिस्तान में आतंकी हमले
पाकिस्तान खुद भी आतंकी हमलों से परेशान है। इसका सबसे बड़ा कारण है उपयुक्त सुरक्षा व्यवस्था का नहीं होना, उसके लिये ज्यादा धन की आवश्यकता होती है, जो पाकिस्तान के पास नहीं है। भारत के साथ मिलकर अगर उसे आर्थिक शक्ति मिले तो वो आतंकवाद से लड़ने में सक्षम हो सकता है और भारत भी यही चाहता है।
व्यापार- आयात-निर्यात
पाकिस्तान ज्यादातर चीजें पश्चिम से खरीदता है, अगर वही सामान वो भारत से पूछे तो उसे सस्ते में मिल सकती हैं। यानी पाकिस्तान को आर्थिक मजबूती और भारत को लाभ ही लाभ। उदाहरण अगर पाकिस्तान भारत से लोहा खरीदे तो उसे 55 फीसदी कम कीमत देनी होगी।
नरेंद्र मोदी से दोस्ती में बाधाएं
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अगर भारत-पाकिस्तान में संबंध प्रगाढ़ होते हैं, तो आतंकी हमलों का खतरा बढ़ सकता है, क्यांकि तालिबानी आतंकवादी यह कभी नहीं चाहते हैं। भारत-पाक मिलकर एंटी टेरेरिज्म कैम्पेन को मजबूत बना सकते हैं।
शोधकर्ताओं का सुझाव
ओआरएफ ने भारत-पाकिस्तान को यह सुझाव दिया है कि वो अमेरिका के साथ मिलकर बात करे और कहे कि दिसंबर 2014 में अफगानिस्तान से हटायी जाने वाली अमेरिकी सेना को अभी वहीं रहने दें, क्योंकि ऐसा होने पर तालिबान मजबूत होगा और दोनों देशों पर आतंकी हमले बढ़ सकते हैं। लिहाजा अब शरीफ को मोदी से इस विषय में बात करनी ही चाहिये।