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समय की बर्बादी तो नहीं प्रधानमंत्री का अमेरिका दौरा

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एक तरफ जहां हर तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे की चर्चा है तो वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी है कि क्या यह दौरे का सही समय है? प्रधानमंत्री ऐसे समय अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं जिस समय दो प्रमुख राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों ही ऐसे राज्य हैं जहां प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की असल परीक्षा होनी है। वहीं जिस तरह से विधानसभा में एनडीए गठबंधन खतरे में पड़ता दिख रहा है ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी माहौल में भारत में नहीं रहना पार्टी के लिए काफी नुकसानदायाक हो सकता है।

narendra modi

केद्र में जिस तरह से मोदी सरकार बनने के बाद लोगों ने अच्छे दिनों की आस लगायी थी वह भी अब कुछ धुंधली होने लगी है। ऐसे में दोनों ही राज्यों में मतदाताओं को एक बार फिर से भाजपा की ओर खींचना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। प्रधानमंती के पांच दिवसीय दौरे पर नजर डालें तो मोदी के इस दौरे से कुछ भी सार्थक हासिल होता नहीं दिख रहा है।

राज्यसभा में एनडीए की सीटों की संख्या को देखें तो मोदी सरकार के लिए कई महत्वपूर्ण बिलों को पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। इन परिस्थितियों में राज्यों में टूट की कगार पर खड़े एनडीए सहयोगियों को बचाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता होनी चाहिए थी बजाए अमेरिका के दौरे के। प्रधानमंत्री के इस दौरे से इस सरकार को राजनीतिक सुर्खियों के अलावा कुछ भी हासिल होता नहीं दिख रहा है।

क्यों समय की बर्बादी है यह दौरा

  • 26 सितंबर- प्रधानमंत्री पहुंचेंगे न्यूयॉर्क दौरे लिहाजा मोदी का कोई कार्यक्रम नहीं है।
  • 27 सितंबर- सेंट्रल पार्क और कई प्रमुख जगहों का प्रधानमंत्री दौरा करेंगे जिसकी तस्वीरें अखबारों के पहले पेज पर प्रमुखता से छपेंगी। लेकिन यह कार्यक्रम महज औपचारिकता के अलावा कुछ नहीं है। इस दौरे के बाद प्रधानमंत्री यूएन की जनरल एसेंबली को संबोधित करेंगे जहां मौजूद लोगों के झपकी लेते चेहरों की आप आसानी से कल्पना कर सकते हैं
  • 28 सितंबर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय मूल के लोगों से बातचीत करेंगे यहां मौजूद लोगों में मोदी-मोदी के नारों के अलावा कुछ भी हासिल होता नहीं दिख रहा है।वहीं भारतीय राजदूतों के साथ प्रधानमंत्री का रात्रिभोज भी महज हाथ मिलाने तक ही सीमित है।
  • 29 सितंबर- विदेशी संबंधों की परिषद में विदेश नीती पर प्रधानमंत्री का अभिभाषण के दौरान बिल क्लिंटन और हिलेरी क्लिंटन से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री वाशिंगटन डीसी में राष्ट्रपित बराक ओबामा के साथ रात्रिभोज करेंगे । इन दोनों ही कार्यक्रमों पर नजर डाले तो भारत को किसी भी बड़े समझौते, करार या भारत में निवेश की संभावना बनती नहीं दिख रही है।
  • 30 सितंबर- दौरे के आखिरी दिन प्रधानमंत्री बराक ओबामा की टीम से मुलाकात करने के बाद उपराष्ट्रपति वीप जो बायडेन के साथ दोपहर का भोजन करने के बाद स्वदेश वापसी के लिए रवाना होंगे।

कुल मिलाकर देखा जाए तो यह कार्यक्रम तीन दिन में भी पूरा किया जा सकता है। ऐसे करने पर भारत जैसे बड़े देश के प्रधानमंत्री के कीमती दो दिन आसानी से बच सकते हैं।

Comments
English summary
Prime Minister narendra modi's US visit can prove only waste of time. While two crucial state election are ahead and the coalition is on the verge to break. Looking to the itinerary of modi's US visit there is hardly any gain for the country.
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