लोकपाल पर राहुल ना बन जाये हीरो इसलिए केजरीवाल का विरोध
दो साल पहले इसी लोकपाल बिल के लिए हुए आंदोलन की वजह से एक नया और आम चेहरा लोगों के सामने आया था और इस चेहरे का नाम है अरविंद केजरीवाल। जो कि आज एक आम पार्टी के सफल नेता है जिन्होंने जनता के बीच से आकर दिल्ली की सत्ता की जड़ों को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया है।
इसमें कोई शक नहीं कि अरविंद केजरीवाल की बुलंद आवाज के ही चलते लोगों का हुजूम अन्ना हजारे से जुड़ा था जिसके बाद ही केजरीवाल को लगा कि वह अब लोगों को एकत्र करके पार्टी बना सकते हैं और इसलिए ही 'आम आदमी पार्टी' का जन्म हुआ और उन्होंने आम जनता से यही कहा कि अन्ना का लोकपाल बिल लायेंगे और देश से भ्रष्टाचार खत्म करेंगे।
केजरीवाल की बातों पर दिल्ली की जनता को भरोसा हुआ औऱ दिल्ली की जनता ने केजरीवाल को चुना। लेकिन जिस लोकपाल के दम पर केजरीवाल लोगों की नजरों में हीरो बने थे उसी को हथियार बनाकर कांग्रेस पार्टी ने अपना दांव खेला है। चार राज्यों में हार से तिलमिलाई कांग्रेस ने पहली बार इस मुद्दे पर प्रेसवार्ता की। हमेशा कैमरे से दूर रहने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल लाने के वही कारण गिनायें जो कि अपनी सभाओं में केजरीवाल दोहराते हैं।
फिर भी केजरीवाल को इतनी परेशानी नहीं हुई लेकिन जब लोकपाल के लिए अनशन करने वाले अन्ना हजारे ने भी ऱाहुल गांधी पर विश्वास जता दिया तो केजरीवाल की त्योरियां चढ़ गईं। केजरीवाल ने खुले आम कहा कि सरकार का लोकपाल बिल से कोई चूहा भी नहीं पकड़ा जायेगा जिस पर अन्ना ने भी केजरीवाल को आड़े हाथों ले लिया। अपने गुरू का विरोध केजरीवाल के नागवार गुजरा और उन्होंने अन्ना को ही भीष्म पितामह कह दिया।
जिसके
बाद
राजनीतिक
पंडितों
ने
भी
अपने-अपने
तर्क
देने
शुरू
कर
दिये
है।
टीवी
पर
चल
रही
बहस
यही
कहती
है
कि
केजरीवाल
का
विरोध
लाजिमी
है
क्योंकि
अन्ना
का
सपोर्ट
अगर
सरकार
को
मिलता
है
और
लोकपाल
बिल
संसद
में
पास
हो
जाता
है
तो
सारा
क्रेडिट
तो
राहुल
गांधी
और
अन्ना
हजारे
को
मिल
जायेगा।
लोगों
के
बीच
में
अन्ना
हजारे
पूज्यनीय
और
राहुल
गांधी
देश
के
हीरो
बन
जायेंगे
जिसका
सीधा
नुकसान
केजरीवाल
और
आम
आदमी
पार्टी
को
होगा।
इसलिए
केजरीवाल
ने
अन्ना
का
विरोध
किया
है?
वरना
इतना
तो
आम
जनता
को
भी
समझ
में
आता
है
कि
पिछले
सात
दिनों
से
भूखा-प्यासा
इंसान
यूं
ही
लोकपाल
बिल
पर
अपनी
सहमति
कैसे
दे
सकता
है।
जाहिर
है
अन्ना
हजारे
को
भी
लगता
है
कि
इस
बार
सरकार
का
लोकपाल
बिल
उनके
बिल
से
मैच
खाता
है
आखिर
वह
कोई
मूर्ख
इंसान
तो
नहीं
है।
ऐसे
में
केजरीवाल
का
गुस्साना
स्वाभाविक
है
क्योंकि
अगर
अन्ना-राहुल
एक
होते
हैं
तो
अरविंद
केजरीवाल
के
पास
जनता
से
वोट
मांगने
का
कोई
और
महत्वपूर्ण
कारण
नहीं
रह
जायेगा।
इसलिए
'लोकपाल'
पर
राहुल
'हीरो'
ना
बन
जाये
इसलिए
केजरीवाल
का
विरोध
कर
रहे
हैं।