जानिए क्या चल रहा है कश्मीरी युवाओं के दिमाग में
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर हुई चैट पर हामिद ने जब चुनाव, देश की सरकार और कश्मीर के हालातों पर अपनी राय रखी तो अहसास हुआ के टेक्नोलॉजी भले ही कई दौर आगे पहुंच गई हों लेकिन सोच और हालातों को बदलने में अभी बहुत वक्त लगेगा। पढ़िये हामिद की कहानी हामिद की जुबानी और जानिए कि वह देश और चुनावों को लेकर क्या सोचता है क्योंकि हामिद शायद कश्मीर के उस युवा वर्ग का प्रतिनिधि है जो हालातों में घुट-घुटकर जीने को मजबूर हैं।
चुनावों से नहीं कोई उम्मीद
हामिद की उम्र 25 साल है और कुछ दिनों पहले कर्नाटक की राजधानी और देश की आईटी सिटी बेंगलूर आए थे। फिलहाल हामिद दिल्ली में हैं जहां पर वह अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं। आपको और हमको लोकसभा चुनावों को काफी उत्साह है और हर कोई बस यह जानने को बेताब है कि आखिर देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा। वहीं हामिद को इस बात से कोई सरोकार नहीं है।
वह कहते हैं, 'प्रधानमंत्री कोई भी बने लेकिन हमारे लिए उसके पास क्या योजनाएं होंगी इस बारे में कभी कोई बात ही नहीं करता है। कोई यह नहीं बताना चाहता कि कश्मीर के जो हजारों युवा हैं उनके लिए क्या कोई स्पेशल पैकेज है या कोई ऐसी योजना है जिसके जरिए उन्हें रोजगार मुहैया कराया जाए।'
हामिद के मुताबिक आज श्रीनगर के युवाओं को देश के दूसरे हिस्सों में नौकरी मिलने में खासी दिक्कतें होती हैं। उसके पास रोजगार नहीं है और हालातों की वजह से अच्छे रोजगार के आसार भी अब नजर नहीं आते हैं। ऐसे में भला कौन अगला प्रधानमंत्री होगा या दिल्ली में किसकी सरकार आएगी, इस बात से सरोकार रखने का क्या फायदा।
सारी राजनीतिक पार्टियां एक जैसी
श्रीनगर में इस समय नेशनल कांफ्रेंस की सरकार है और युवा चेहरे के तौर पर उमर अब्दुल्ला न सिर्फ राज्य का बल्कि यहां के युवाओं का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। नेशनल कांफ्रेंस के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यहां की एक अहम पार्टी के तौर पर मौजूद है। हामिद कहते हैं कि सभी राजनीतिक पार्टियां एक जैसी हैं और उनके पास कोई एजेंडा ही नहीं हैं।
वह इस बात को लेकर भी अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करते हैं कि अगर वह केंद्र में बनने वाली सरकार का हिस्सा होंगे तो उनके जैसे युवाओं के लिए क्या करेंगे। उन्हें इस बात को कहने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं होती कि सारी पार्टियां एक जैसी हैं और उनसे किसी को भी कोई उम्मीद नहीं है।
क्या सोचते हैं विशेष दर्जे पर
पूरे देश में कुछ दिनों पहले कश्मीर को संविधान की धारा 370 के तहत मिले हुए विशेष दर्जे को लेकर खूब बहस चल रही थी लेकिन उस समय कश्मीर के यंगस्टर्स क्या कर रहे थे क्या आप जानते हैं? हामिद की मानें तो बहस के बीच वह और उनके दोस्त ग्राउंड पर क्रिकेट खेलकर अपना समय बिता रहे थे। वह कहते हैं कि विशेष दर्जे के बारे में वह और उनके दोस्त आपस में खूब बात करते हैं और वह इस दर्जे की वजह से आगे की संभावनाओं पर भी चर्चा करते हैं।
हामिद की मानें तो विशेष दर्जे तब तक कोई अहमियत नहीं रखता जब तक कि यहां के युवाओं को मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जाता। हामिद की मानें तो यहां के युवाओं को हर राजनीतिक पार्टी ने किनारे कर दिया है। राजनेताओं को उनसे आकर बात करनी चाहिए और उनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिशें करनी चाहिए।