नरेंद्र मोदी के आने से वाराणसी चुनाव हुआ हिन्दू Vs मुस्लिम
जी हां ग्राउंड जीरो पर खड़े लोगों की बातों से यह जंग हिन्दू बनाम मुसलमान ही प्रतीत हो रही है। सिरसा के कम्युनिटी रेडियो स्टेशन, सीडीएल यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर विरेंद्र सिंह चौहान जिन्होंने ग्राउंड जीरो पर जाकर वाराणसी को करीब से जाकर देखा, उन्होंने वनइंडिया के साथ अपने अनुभव शेयर किये। उनके अनुभव बनारस की फिजा को बयां करने के लिये काफी हैं।
क्या हुआ जब बनारस की गलियों में पहुंचे
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मार्केट में व्यापारियों और वहां आने वाले श्रद्धालुओं से बात की तो अधिकांश ने नरेंद्र मोदी के नाम पर अपनी मुहर लगायी, लेकिन यक युवक की बात चौंकाने वाली थी। काशी विद्यापीठ के छात्र ने कहा, "यह लड़ाई मोदी बनाम अजय राय या मोदी बनाम केजरीवाल नहीं है। यह लड़ाई हिन्दू बनाम मुसलमान है। अगर मोदी हार गये मतलब हिन्दू हार गये।" विरोधी पक्ष हिन्दुओं से मुरली मनोहर जोशी की नाकामियों की चर्चा कर रहे हैं, तो मुसलमान वोटरों से यह कहा जा रहा है कि मोदी बाहर से आये हैं और चुनाव के बाद बरारस सीट छोड़ देंगे।
शक को यकीन में बदला केजरीवाल ने
हिन्दू बनाम मुसलमान की जंग को पहले शक के नजरिये से देखा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि यह सब बकवास है, लेकिन केजरीवाल ने इसे यकीन में बदल दिया है। केजरीवाल ने वाराणसी की गलियों में रोड शो किये, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल्य इलाकों में किये। साथ ही केजरीवाल का जमात-ए-इस्लामी हिंद का हाथ थामना इस बात को कनफर्म करता है। जमात के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने समर्थन किया है।
गुजरात दंगों की बात कर रहे विरोधी
बनारस की गलियों में प्रचार कर रहे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कार्यकर्ता गली-गली में जाकर गुजरात दंगों की चर्चा कर रहे हैं, ताकि मुस्लिम वोट कट जायें। विरोधी बार-बार जनता के बीच यह संदेश दे रहे हैं कि मोदी जीतने के बाद बनारस की सीट छोड़ देंगे और उस पर फिर से मुरली मनोहर जोशी को खड़ा कर देंगे, वो मुरली मनोहर जो बाढ़ के वक्त मैदान छोड़कर चले गये थे।
वैसे लहर की बात करें तो वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार सौरभ कपूर का कहना है कि बनारस में लहर तो निश्चित तौर पर मोदी की ही है, केजरीवाल और अजय राय दोनों ही नहीं जीत पायेंगे, क्योंकि बनारस के लोगों में यह बात बैठ गई है कि वो देश का प्रधानमंत्री चुनने जा रहे हैं।