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बाप रे बाप! प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी के खिलाफ 77 उम्‍मीदवार

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Varanasi constituency attracts 77 candidates
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वाराणसी में नामांकन दाखिल कर दिया। मोदी यदि प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहे तो वह पहले प्रधानमंत्री होंगे, जिन्होंने चुनावी दौड़ में 77 उम्मीदवारों का सामना किया हो। मोदी के खिलाफ 77 उम्मीदवारों को राजनीतिक समीक्षक विरोधियों द्वारा उनके खिलाफ फेंके गए अंतिम पासे के रूप में देख रहे हैं।

वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री हुए थे। उन्हें चुनाव में 17 प्रत्याशियों से ही मुकाबला करना पड़ा था। उस समय मंडल कमीशन की आंधी चली थी, लेकिन सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और चंद्रशेखर सिंह ने आगे प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाल ली। चंद्रशेखर के खिलाफ बलिया सीट से 13 उम्मीदवारों ने ताल ठोंकी थी।

वर्ष 1991 में पीवी नरसिम्हा राव भी महज 13 प्रत्याशियों के साथ संघर्ष करते हुए सात रेस कोर्स रोड पहुंचे थे। वर्ष 1996 में लखनऊ सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को 58 उम्मीदवारों, वर्ष 1998 में 13 व वर्ष 1999 के चुनाव में 14 राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ा था। मोदी को वाराणसी सीट पर न सिर्फ अब तक के सर्वाधिक 77 उम्मीदवारों से जूझना पड़ेगा, बल्कि उन पर सामाजिक-सांस्कृतिक ताने बाने को भी सहेजने की जिम्मेदारी होगी, जिसे उनके नामांकन के दौरान दिखाने की कोशिश की गई थी।

राजनीतिक विश्लेषक व मदनमोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो़ ओमप्रकाश सिंह कहते हैं कि चुनाव के अंतिम चरण में विरोधी दलों ने मोदी को घेरने का यह अंतिम प्रयास किया है। भाजपा और मोदी द्वारा सहेजे गए एक-एक वोट में बिखराव लाने की कोशिश की जा रही है या यूं कहें कि यह विरोधियों के छद्मयुद्घ का एक रूप है।"

नामांकन में विभिन्न प्रदेश के लोगों ने मोदी का स्वागत अपनी पारंपरिक वेशभूषा में किया। भाजपा की रणनीति के मुताबिक मोदी ने भी उनका अभिवादन उनकी भाषा में किया, लेकिन अब विरोधी दल भाजपा की तैयारी के हिसाब से उनको जवाब देने में जुटे हैं। हरियाणा के संजय वशिष्ठ ब्रह्मचारी, मध्य प्रदेश के महेंद्र भाई दीक्षित, पटना के हाजिज मेराज खालिद नूर, केरल के ईसाई समुदाय से जुड़े जॉन्सन थॉमस, झारखंड के प्रकाश प्रताप, राजस्थान के नरेंद्र शर्मा, कोलकाता के शिवहरि अग्रवाल जैसे लोग वाराणसी के चुनावी समर में प्रत्याशी के रूप में सामने हैं।

यही वजह है कि ऐसा माना जा रहा है कि इन प्रदेशों के प्रत्याशी खुद को बनारस के मतदाताओं से जोड़ेंगे। मोदी के प्रभाव को कम करने की कोशिश करेंगे। राजनीतिक विश्लेषक प्रो़ रजनीश शुक्ल व प्रो़ कौशल किशोर कहते हैं, "वाराणसी में हरियाणा, बंगाल, मध्य प्रदेश, झारखंड व अन्य प्रदेशों के भी लोग रहते हैं। भाजपा इन मतदाताओं को सहेजने की कोशिश कर रही है लेकिन राजनीतिक विरोधी इसे बांटने की कोशिश में जुटे हैं। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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English summary
Varanasi is set to become the mother of all battles in this Lok Sabha polls not only because Narendra Modi is locked in a contest with AAP’s Arvind Kejriwal and Congress’ Ajay Rai, but also for having a large number of parties and independents in the fray.
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