सहरानपुर दंगा: फसाद का आवारा धुआं कह रहा, आरती और अजान में अंतर नहीं
उठे लफ्ज-ए-मोहब्बत करके सजदा कर लिया जाए।।
'अब्बू मैं सलमा के घर चली जाऊं, उसके घर पर बनी शीर खानी है और फिर उसके साथ बाजार भी तो जाना है। बेटी नगमा की यह मांग सुनकर खलील मायूस हो गया। दबी और कांपती आवाज में उसने अपनी बेटी को कहा कि जानती हो सलमा का घर रसूलपुर में है और आप देहरादून चौक रहती हो, घर से बाहर जाओगी तो पुलिस रोक लेगी। पुलिस का नाम सुनते ही नगमा के आखों में आसूं आ गये।' बाबा लालदास और शाह हारुन चिश्ती की मोहब्बत और राम-रहीम में एकरूपता के लिए पहचान रखने वाले शहर सहारनपुर के अमन में अचानक ऐसी आग लग गई कि ईद जैसे पाक दिन को सलमा से नगमा नहीं मिल पाई।
बीते शनिवार को गुरुद्वारे की जमीन को लेकर सांप्रदायिक उन्माद ऐसा फैला कि आगजनी, लूटपाट और खून-खराबे ने इस शहर की कीर्ति को कलंकित कर दिया। हर तरफ हैवानियत पसर गई। अकसर देर रात चहकने वाले इस शहर में दिन में ही मातम छा गया। अब जरुरत है तो बस इस हालात से उबरने की। चंद सिरफिरों ने नफरत की दीवार अगर खड़ी की है तो उसे मोहब्बत की ताकत से ढहाने में ज्यादा वक्त नहीं लगना चाहिए। प्यार और मोहब्बत में यकीन रखने वालों की शायद यही उम्मीद है।
इसे दुखद ही कहा जाएगा कि ईद से चंद रोज पहले ही शहर के अमन में आग लग गई। हालांकि इस शहर का मिजाज ऐसा कभी नहीं रहा है। यहां तो अक्सर पर्वों-त्योहारों पर मोहब्बत के पैगाम बंटते रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल दी जाती रही है। अतीत में झांक कर देखें तो बाबा लालदास और शाह हारुन चिश्ती की दोस्ती से इतिहास के पन्ने अभी भी फड़फड़ा रहे हैं लेकिन महज 100 गज जमीन की कब्जेदारी को लेकर दो संप्रदायों के मनमुटाव ने ऐसा रूप ले लिया शहर जल उठा।
शहर का एक बड़ा हिस्सा कर्फ्यू की जद़ में है। शनिवार को हालात जुदा होने पर स्कूलों में जब अचानक बच्चों की छुट्टी कर दी गई तो वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर हुआ क्या? दंगा शब्द से अंजान मासूम बच्चे अपने घरों पर लौटे तो उनकी आंखे सवाली थीं। पुलिस के बूटों की पगचाप से शायद वह पहली बार वाकिफ हुए थे। मारकाट और खून खराबे के बीच आसमान से उठता आवारा धुंआ इस बात की गवाही दे रहा था कि शहर की सूरत बिगड़ चुकी है लेकिन इन हालात से उबरना ही होगा। क्योंकि नफरत हमें बर्बाद कर देती है। फसाद हमारी तरक्की को रोक देते हैं। दंगे में हम एक दूसरे की नजरों में गिर जाते हैं। हमें ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि नगमा और नीलम एक साथ पढ़ने जाती हैं। जुम्मन और जयराम आसपास दुकानें चलाते हैं। मंदिर की आरती और मस्जिद के अजान के बीच लंबा अंतराल नहीं होता।
दंगे का मुख्य आरोपी मोहर्रम्म अली गिरफ्तार
सहारनपुर में दंगा भड़काने के मुख्य आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पिछले सप्ताह दो सम्प्रदायों के बीच यहां भड़की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मोहर्रम्म अली पर भीड़ को सिखों के खिलाफ पथराव तथा गोली चलाने के लिए भड़काने का आरोप है। साथ ही उस पर सहस्त्र पाल नाम के कांस्टेबल पर गोली चलाने का भी अरोप है, जो शहर के एक अस्पताल में जीवन-मौत से जूझ रहा है।
हिंसा भड़काने के मामले में दानिश, मोहम्मद इरशाद, मोहम्मद आबिद, मोहम्मद शाहिद तथा हाजी मोहम्मत इरफान को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि कुतुबशेर पुलिस स्टेशन के घेराव के पीछे मुख्य आरोपी का हाथ है, जहां एक विवादास्पद जमीन को लेकर दोनों पक्षों के लोग वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में बातचीत कर रहे थे। पुलिस स्टेशन के बाहर एकत्र हुई भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने लोगों पर गोली चलाई, दुकानों एवं वाहनों में आग लगा दी और पथराव किया। एक अधिकारी ने बताया कि मोहर्रम अली उर्फ पप्पु ने भीड़ को भड़काने की बात कबूल कर ली है।