अमेरिकी एक्सपर्ट नहीं करते जॉन कैरी पर विश्वास तो भारत क्यों करे!
सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस यानी सीएपी की एक कांफ्रेंस के दौरान जॉन कैरी ने भारत-अमेरिका रिश्तों पर कई बातें कहीं लेकिन बतौर अमेरिकी विदेश सचिव क्या वह उन बातों पर खरें उतर सकेंगे, इस बात को लेकर खुद अमेरिकी विशेषज्ञों को शक है।
कमजोर
और
खराब
विदेश
सचिव
अपने
ही
देश
में
'सबसे
खराब
विदेश
सचिव'
का
तमगा
हासिल
करने
वाले
जॉन
कैरी
के
इस
दौरे
से
वहां
के
लोगों
को
कोई
ज्यादा
उम्मीदें
नहीं
हैं।
अमेरिकी
विशेषज्ञों
के
मुताबिक
जॉन
कैरी
अमेरिका
के
इतिहास
में
शायद
सबसे
कमजोर
विदेश
सचिव
हैं।
उनका
कार्यकाल
उपलब्धियों
की
बजाय
कई
तरह
की
गलतफहमियों
से
भरा
पड़ा
है।
एक मैग्जीन में अमेरिका के मशहूर पत्रकार जॉन टोबिन ने तो कैरी को अमेरिका का सबसे खराब विदेश सचिव तक करार दे दिया। वहीं वाशिंगटन पोस्ट ने अपने एक लेख में कहा है कि जॉन कैरी एक गलत जगह पर है, गलत लोगों से बात कर रहे हैं और वह भी गलत चीजों के बारे में।
गलतियां
न
पड़
जाएं
भारी
हाल
ही
में
कैरी
की
एक
गलती
की
वजह
से
पूरी
दुनिया
के
सामने
अमेरिका
की
छवि
पर
खासा
असर
पड़ा
है।
इजरायल
और
हमास
के
बीच
जब
इजिप्ट
ने
बिना
शर्त
सीजफायर
की
कोशिशें
कीं
तो
कैरी
ने
इजिप्ट
से
मुंह
मोड़
लिया।
कैरी ने इजरायल के सामने सीजफायर का एक ऐसा प्रस्ताव रखा जो हमास के पक्ष में था और जिसकी वजह से इजरायल खासा नाराज हुआ।
एक न्यूक्लियर डील की वजह से इरान की तरफ जाने वाले कैरी की वजह से पिछले दिनों अमेरिका को अपने करीबी फ्रांस की नाराजगी झेलनी पड़ी।
कैरी की इन दो गलतियों की वजह से अमेरिका में मीडिया और विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही भारत अमेरिका का दोस्त हो लेकिन कैरी को हर कदम पर सावधान रहना होगा। खासतौर पर तब जब अमेरिका पर भारत के सत्ताधारी दल की जासूसी कराने का आरोप लगा है।
विशेषज्ञों को तो यहां तक डर है कि कैरी जिस तरह से बर्ताव कर रहे हैं, उसके बाद कहीं स्थितियां सुधरने के बजाय बिगड़ ही न जाएं।