यूजीसी के कड़े तेवर पर स्मृति ईरानी की मुहर, दखल नहीं देगी 'नई सरकार'
डीयू में चार साल के ग्रेजुएशन डिग्री प्रोग्राम में दाखिले पर रोक लगा दी गई है। डीयू के सभी 77 कॉलेजों को तीन साल के डिग्री प्रोग्राम ही जारी रखने होंगे। यूजीसी की ओर से इस फैसलेे पर आदेश दिए गए हैं, जिसके बाद चार साल पर फंसी पेंच भी सुलझ गई है। लेकिल इस पेंच में उन छात्रों का करियर फंस गया है, जो एक साल पढ़ चुके हैं। हालांकि मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने फैसले पर कोई दखलंदाजी ेने से इंकार कर दिया है।
जिन छात्रों ने चार साल के डिग्री प्रोग्राम में पिछले साल दाखिला लिया था उन्हें तीन साल के प्रोग्राम में लाने के लिए दस सदस्यों की कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी डीयू को चार साल के प्रोग्राम को तीन साल में करने पर सलाह देगी। यूजीसी के वाइस चेयरमैन प्रो. एच देवराज को स्टैडिंग कमेटी का प्रमुख बनाया गया है।
डीयू ने यूजीसी के निर्देश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। चार साल के डिग्री प्रोग्राम पर यूजीसी और डीयू में बीते दिनों तकरार बढ़ गई थी। यूजीसी ने इसे रद्द करने के लिए कहा था, लेकिन विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने इस फैसले पर पुनर्विचार को कहा था।
यूजीसी के मुताबिक अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो डीयू को दिए जा रहे अनुदान और डिग्री की मान्यता खत्म की जा सकती है विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा कि हमारे निर्देशों को न मानना यूजीसी अधिनियम 1956 का उल्लंघन माना जाएगा
हालांकि यूजीसी को इस फैसले पर आपत्ति क्यों है, इस बात को भी साफगोई से रखा गया है
1. यह राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है, 10+2+3 का पालन नहीं हुआ।
2. लागू करने से छह माह पहले मानव संसाधन मंत्रलय और यूजीसी से मंजूरी नहीं ली गई।
3. केंद्रीय विश्वविद्यालय ने इस बड़े बदलाव के लिए राष्ट्रपति की भी अनुमति नहीं ली
इन
तत्वों
पर
डीयू
के
तर्क
यह
थे
1.
10+2+3
का
पालन
करते
हैं।
डिग्री
में
चौथा
साल
वैकल्पिक
है।
2. यूजीसी से मंजूरी ली गई थी (मगर यह मंजूरी छह माह की अवधि के बाद ली गई थी।
3. डीयू नियमों के तहत अकादमिक व कार्यकारी परिषद से मंजूरी ली गई थी।