क्या आपको भी है लड़कियों के बारे में ये 10 गलतफहमियां
नयी दिल्ली। कहते है कि महिलाओं के चरित्र के बारे में देवता भी सही आंकलन नहीं कर पाते है। लड़कियों का मूड कब बदल जाए इसका पता नहीं होता। वो कब किस बात पर खुश होगी या फिर किस बात से नाराज हो जाएगी इसे समझ पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में लोग लड़कियों के स्वभाव को लेकर बारे में बहुत सी धारणाएं बना लेते है। कुछ लोग उन्हें कमजोर, ज्यादा बोलने वाली, हर वक्त बिना सिर पैर के बात करने वाली, सजने धजने वाली, चुगली करने वाली मानते हैं। तो कुछ की धारणाएं एलग होती है। आपको उन 10 गलत धारणाओं के बारे में बताते है जो कि लोग लड़कियों के बारे में आम तौर पर सौचते हैं।
फालतू का बोलती हैं लड़कियां
ज्यादातर लोग मानते है कि लड़कियां फालतू का बोलती है। लेकिन आपको बता दें कि दुनिया में ऎसी भी लड़कियां हैं जो जानती है कि उन्हें कब, किस बारे में और कितना बोलना है। ऐसे में आपको अपनी धारणा बदलने की जरुरत है।
बदल दीजिए अपनी धारणा
ज्यादातर लोग मानते है कि लड़कियों को राजनीति की समझ नहीं होती, लेकिन मलाला यूसफजई की समझ यह साबित करती है कि ऎसी लड़कियां भी हैं जिन्हें राजनीति की गहन समझ है। हमारे देश में ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है। राजनीति में ही कई दिग्गज महिला नेता हमारे देश का गौरव है।
बदल दें अपनी धारणा
ज्यादातर लोगों का मानना है कि लड़कियां चुगली करने में सबसे आगे है। गॉसिप करना उनका शौक है, लेकिन अब आपको अपनी ये धारणा बदल देनी चाहिए। कुछ लड़कियां ऎसी भी हैं जो अपने मन में ही अपना हर दुख समेटे रहती हैं और दूसरों के निजी जीवन में दखल देना पसंद नहीं करतीं।
बदल दें अपनी धारणा
लोगों का मानना है कि लड़किया शॉपिंग की दीवानी होती है। ब्रेक अप हुआ तो शॉपिंग, पैचअप हुआ तो शॉपिंग। ये बात सच है कि लड़कियां शॉपिंग बहुत करती हैं, लेकिन लड़कियों की चॉइस, मोल-जोल करने का गुण, क्वालिटी की परख और अपने सभी प्रियजनों के लिए शॉपिंग करना भी लड़कियों के ही गुण होते हैं।
बदल दें अपनी धारणा
अगर किसी को रोड पर कोई लड़की गाड़ी चलाती दिख जाए तो लोग उससे चार कदम की दूरी बनाकर ही चलने की कोशिश करते है। अगर अब तक आप भी ऐसा करते हैं तो अब भूल जाए क्योंकि आपको बता दें कि अंतरिक्ष यात्रा करने वाली सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला भी लड़कियां ही थीं।
बदल दें अपनी धारणा
लोग लड़कियों को ड्रामा क्वीन मानते है। उनका मानना है कि लड़कियां बहुत रोती हैं और बात-बात पर रोती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ लड़कियां ही रोने में माहिर है। हिंदी फिल्म के मंजनू की तरह लड़के भी रोने में अव्वल है।
बदल दें अपनी धारणा
लोगों का मानना है कि लड़कियां अपनी भावनाओं को इजहार करने में बहुत वक्त लगाती है। दरअसल लड़कियों का अपने मन पर कंट्रोल होता है और वो रिश्तों को निभाने में बहुत आगे तक जाती है।
बदल दें अपनी धारणा
लोग मानते है कि लड़कियां चटोरी होती है, लेकिन ऐसा बोलने वाले अपनी धारणा को बदल दें। क्योंकि अक्सर देखा गया है कि किसी की शादी के रिसेप्शन पर सबसे पहले लड़के ही गोलगप्पे और चाट की स्टॉल पर लपकते हैं।
बदल दें अपनी धारणा
लोग मानते है कि लड़कियां दिनभार सजने संवरने के अलावा कोई काम नहीं करती। अगर आप भी ऐसा सोचते है तो अपनी धारणा फौरन बदल दें क्योंकि ऐसी भी लड़कियां हैं जो बिना मेकअप केवल अपनी मासूम मुस्कुराहट से ही आपका दिल चुरा सकती हैं।
बदल दें अपनी धारणा
लोग मानते है कि लड़कि को कमजोर कमजोर दिल की होती है। लेकिन उन्हें कमजोर समझने वाले लोग, उन पर फबतियां कसते वाले औरत के दुर्गा रुप को ना भूले।