धार्मिक प्रथाओं की रीति जिसने दिया है सिर्फ 'दर्द'
नई दिल्ली। दुनिया के सभी देशों में अलग-अलग धर्मों का पालन किया जाता है। कहीं हिंदू तो कहीं मुस्लिम, कुछ लोग ईसाई को मानते हैं तो कुछ बौद्ध धर्म के उपासक हैं। सभी धर्मों की अपनी एक परंपरा है और रीति भी। कुछ धर्म के अंतर्गत पुरानी रीतियां आज भी जिंदा है जिसे निभाने के लिए शेर का कलेजा चाहिए होता है। ये ऐसी रीति हैं जिन्हें अब आम आदमी देखना भी नहीं पसंद करता है लेकिन दुर्भाग्य है कि अभी तक इसे निभाना पड़ रहा है।
आत्म- ममीकरण
यह एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत व्यक्ति या फिर महिला आत्म-ममीकरण करती है। इस प्रक्रिया को करने के लिए संबंधित पुरुष व महिला को 3 वर्ष के लिए थोड़े से भोजन से ही गुजारा करना पड़ता है। जापान और उसके पड़ोसी देशों में यह प्रक्रिया आज भी की जाती है।
आकाश अंत्येष्टि
इस प्रक्रिया के अंतर्गत संक्रमित या फिर मृत शरीर को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर रख दिया जाता है। संक्रमित शरीर को रखने के बाद चील और गिद्ध जैसे पक्षी नोच-नोच कर शरीर को खाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि शरीर तरीके से वायुमंडल में अपशिष्ट हो जाए।
ओकिपा समारोह
इस समारोह को भारत में स बसे ज्यादा जाता रहा है। ओकिपा समारोह के अंतर्गत संबंधित व्यक्ति को पूरे 4 दिन के लिए एक झाोपड़ी में बैठा दिया जाता है। जिसके बाद उसके शरीर में सुईयां चुभा दी जाती है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए व्यक्ति को 4 दिनों तक खाना व पानी नहीं करना होता है। इस प्रक्रिया को करने के पीछे ऐसी मान्यता है कि ईश्वर की प्राप्ति होती है।
खुरचने की क्रिया
सभी जानते होंगे कि जब कोई स्वयं को सजा देता है तो वह स्वयं के शरीर को जला देता है या फिर काट लेता है। लेकिन गुआना नामक देश में पश्चाताप करने की ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत पूरे शरीर को खुरचा जाता है।
आत्मपीड़न
मुस्लिम सुदाय के अंतर्गत की जाने वाली आत्मपीड़न प्रक्रिया के अंतर्गत लोग स्वयं को चाकू और तलवार से काटते हैं। शरीर से खून निकलने के बाद ऐसा मान लिया जाता है कि अल्लाह ने माफ कर दिया।
अघोरी
इन्हें शिव भगवान का भक्त माना जाता है। अघोरियों की सबसे ज्यादा संख्या वाराणसी में देखी जा सकती है। इनकी सबसे बुरी आदत ये होती है कि ये मरे हुए इंसानों को खाते हैं।
बच्ची फेंकना
बच्ची फेंकना रीति के अंतर्गत अधिकतम 1 या फिर 2 वर्ष की मासूम बच्ची को 50 फिट की ऊंचाई से फेंका जाता है। लोग नीचे खड़े होकर बच्ची को पकड़ते हैं। महाराष्ट्र राज्य में यह प्रक्रिया आज भी की जाती है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि लड़की शुभ होगी।
दांत घिसना
इंडोनेशिया में आदिवासी लोग आज भी दांत घिसने की प्रक्रिया को छोड़ नहीं पाए हैं। माना जाता है कि यदि युवा महिलाओं के दांत घिस दिए जाते हैं तो वो ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत दिखने लगती हैं।