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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से गदगद हुई कांग्रेस
नई
दिल्ली।
एक
ओर
जहां
कांग्रेस
को
मिली
हार
से
उसे
नेता
विपक्ष
का
पद
नहीं
मिल
रहा
है
वहीं
अब
यह
मसला
नेता-विशेषज्ञों
से
होते
हुए
सर्वोच्च
अदालत
तक
जा
पहुंचा
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इस
पर
अहम
टिप्पणी
की
है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि लोकतंत्र में नेता विपक्ष बहुत ही अहम हिस्सा है। इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। संविधान बनाने वालों ने ये सोचा नहीं होगा कि कभी ऐसी स्थिति आएगी कि कभी नेता प्रतिपक्ष ही नहीं होगा।
पढ़ें- गलतफ़हमी की सज़ा मौत
यह है खतरा-
- दरअसल सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी लोकपाल की नियुक्ति से जुड़े एक मामले में आई है। लोकपाल के चयन में पांच लोगों की कमेटी होती है जिसमें नेता प्रतिपक्ष भी होता है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से 4 हफ्तों में अपनी पूरी राय देने को कहा है।
यह कह रहे हैं संविधान विशेषज्ञ-
-
अगर
गृह
सचिव
ने
पद
छोड़ने
का
सुझाव
दिया
है
तो
यह
राज्यपाल
पर
निर्भर
करता
है
कि
वे
मानें
या
नहीं
मानें।
सुझाव
देने
की
अधिकार
संबंधी
बातें
संविधान
में
नहीं
होती
हैं,
इस
तरह
की
बातें
किसी
भी
संविधान
में
शामिल
नहीं
होती
हैं।
- कहा गया है कि- राज्यपाल को हटाने का अधिकार राष्ट्रपति का होता है। कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति काम करते हैं। सलाह को मानना और नहीं मानना राष्ट्रपति के हाथ में ही है। अब इस मामले का हल अभी फिलहाल वक्त के पास ही नज़र आ रहा है।
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English summary
Supreme Court make statement over LOP now to Congress party
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