सरकारी विज्ञापनाें को लगी सुप्रीम कोर्ट की 'नज़र'
इसके लिए दिशा-निर्देश तय करने के उद्देश्य से एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सदशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे विज्ञापन डीएवीपी के मौजूदा दिशा-निर्देशों के तहत नहीं आते।
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बेंगलुरु नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के संस्थापक निदेशक एनआर माधवन मेनन, लोकसभा के पूर्व महासचिव टीके विश्वनाथन और वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार समिति के सदस्य होंगे। न्यायालय ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव इस समिति के साथ समन्वय करेंगे और इसे सहयोग देंगे। समिति अपनी पहली रिपोर्ट अगले तीन महीने के भीतर न्यायालय में पेश करेगी।
इसी के साथ अब उन राजनैतिक दलोें के कान खड़े हेाना शुरु हो गए हैं, जिन्हेांने करोड़ों की पूंजी प्रचार-प्रसार में झोंक दी है। इसी के साथ ही चुनावी जंग में यह फैंसला छोटे से लेकर बड़े दलों तक को सतर्क कर सकता है।