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वाराणसी के लिये IIT, IIM के सुझाव

By Ajay
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[बनारस जंक्शन] हाल ही में आईआईएम कोजीकोड ने वाराणसी पर अध्ययन किया, जितमें तमाम शहरी समस्याओं को रखा है। यह अध्ययन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किया गया है। यह अध्ययन विदेशी पर्यटकों ओर स्थानीय के बीच किये गये सर्वेक्षण पर आधारित है।

उससे पहले आईआईटी कानपुर ने एक अध्ययन किया जिसमें बनारस में बेरोजगारी पर गहरी चिंता व्यक्त की। आईआईटी के सर्वेक्षण के अनुसार बनारस में 73 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं, 11 प्रतिशत मेनुफेक्चरिंग इंडस्ट्री में हैं जिनमें बुनकर भी शामिल हैं, 7 फीसदी ट्रेड एंड कॉमर्स में हैं, 2 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट सेवाओं में , 1 फसीदी लोग कृष‍ि में हैं और बाकी के छह प्रतिशत लोग अन्य क्षेत्रों से जुड़े हैं।

आईआईटी कानपुर की टीम और आईआईएम-कोजीकोड के डा. पीवी राजीव, पीजे श‍िजू द्वारा बनारस के लिये सुझावों को आप तस्वीरों के साथ स्लाइडर में देख सकते हैं

आईआईएम कोजीकोड के सुझाव

आईआईएम कोजीकोड के सुझाव

सबसे पहले हम आईआईएम कोजीकोड के सुझावों को प्रस्तुत कर रहे हैं।

ट्रेन की सुविधा

ट्रेन की सुविधा

वाराणसी में 55 प्रतिशत पर्यटक ट्रेन से आते हैं। लिहाजा मुख्य शहरों से वाराणसी के लिये ज्यादा ट्रेनें होनी चाहिये। वाराणसी रेलवे सटेशन को भी और ज्यादा विकसित करने की जरूरत है।

सड़कों की बुरी दशा

सड़कों की बुरी दशा

15 प्रतिशत पर्यटक बाई रोड बनारस आते हैं, जो मुख्य रूप से दिल्ली, आगरा, गया, इलाहाबाद, कोलकाता और लखनऊ से सीधे आते हैं। इन सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को हाई क्वालिटी बनाने की जरूरत है, जैसे मुंबई-पुणे हाईवे या बैंगलोर-मैसूर हाईवे है।

ठगों की बढ़ती संख्या

ठगों की बढ़ती संख्या

स्थानीय पर्यटन एजेंसियां लोगों को बेवकूफ बनाने के प्रयास करते हैं। ऐसी एजेंसियों पर लगाम कसने की जरूरत है।

गंदगी चरम पर

गंदगी चरम पर

98 फीसदी लोगों ने कहा कि बनारस में गंदगी बहुत है। सफाई के लिये विशेष व्यवस्था की जानी चाहिये, क्योंकि गंदगी के कारण बनारस में आने का उत्साह समाप्त हो जाता है।

यातायात बेहद खराब

यातायात बेहद खराब

79 प्रतिशत लोगों ने बनारस की यातायात व्यवस्था को बेहद खराब बताया। आईआईएम के विशेषज्ञों ने बनारस के ट्रैफिक मैनेजमेंट को गंभीरता से लेने की बात कही है।

वाराणसी की मैली गंगा

वाराणसी की मैली गंगा

62 प्रतिशत पर्यटकों ने गंगा नदी के पानी को गंदा बताया और कहा कि गंगा की सफाई जरूर की जानी चाहिये क्योंकि यही बनारस की लाइफलाइन है।

चोरियां और छेड़छाड़

चोरियां और छेड़छाड़

हो सकता हे यह बेरोजगारी के कारण हो, लेकिन सच तो यह है ही कि बनारस में चोरियां और महिलाओं से छेड़खानी के मामले बहुत आते हैं।

आईआईटी कानपुर के सुझाव

आईआईटी कानपुर के सुझाव

आगे की स्लाइड्स में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझाव पढ़ सकते हैं।

औद्योगिक क्षेत्र में गिरावट

औद्योगिक क्षेत्र में गिरावट

वाराणसी का औद्योगिक क्षेत्र हर पांच साल में 5.24 प्रतिशत की दर से कम हो रहा है। यह अलार्मिंग है, क्योंकि यहां बड़े उद्योग नहीं बल्क‍ि छोटे-छोटे उद्योग चलते हैं।

बुनकरों को आर्थ‍िक शक्त‍ि

बुनकरों को आर्थ‍िक शक्त‍ि

वाराणसी में कामगरों की बात करें तो उनमें 50.70 प्रतिशत बुनकर हैं। वहीं 15 फीसदी लोग धातु से जुड़े उद्योग से जुड़े हैं। असल में यही तबका वाराणसी की आर्थ‍िक शक्त‍ि है।

नियम से दूर छोटे उद्योग

नियम से दूर छोटे उद्योग

बनारस फैके अध‍िकांश छोटे उद्योग ससरकारी नियमों से दूर हैं यही कारण है कि यहां के कामगार मालिक की दबंगई का श‍िकार हो जाते हैं।

बीमारी का गढ़

बीमारी का गढ़

बारिश के दिनों में बनारस की सड़कों पर चलना भी दूभर हो जाता है। गंदगी तब चरम पर होती है, जब मनहोल उब पड़ते हैं। इससे बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

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English summary
BJP's PM candidate Narendra Modi has filed his nomination in Varanasi city of Uttar Pradesh. Here are the suggestions from IIM Kozhikode and IIT Kanpur.
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