तो इन सात वजहों से भारतीय छात्रों से डरता है अंकल सैम!
बैंगलोर। दुनिया की महाशक्ति अमेरिका भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर और आर्थिक रुप से संपन्न, लेकिन फिर भी इसे भारत से डर लगता है। आखिर ऐसा क्या है भारत के पास जो हर बार राष्ट्रपति बराक ओबामा के माथे पर शिकन की वजह बन जाता है। यह कुछ और नहीं है बल्कि भारत के वह छात्र हैं जो अमेरिकी छात्रों की तुलना में काबिलियत और क्षमता में कहीं आगे हैं।
हाल ही में ओबामा ने फिर एक बार भारतीय छात्रों के प्रति अपने डर को जाहिर किया है। राष्ट्रपति ओबामा कुछ दिनों पहले कुछ स्कूलों को 107 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद की है। इस मदद के तहत स्कूलों को अपना करिकुलम फिर से तैयार करना होगा ताकि छात्रों को उनके चुने हुए करियर में सफलता मिल सके।
मैरिलंड में ब्लैडेनस्बर्ग स्थित एक हाई स्कूल में आयोजिस कार्यक्रम के दौरान ओबामा यहां के छात्रों से बात कर रहे थे। उन्होंने साफ तौर पर छात्रों से कहा कि अमेरिकी छात्रों का अगर कोई असल प्रतिद्वंदी है तो वह हैं भारत और चीन के छात्र। अमेरिकी छात्र अपने इन प्रतिद्वंदियों का सामना बेहतरी से कर सकें इसके लिए अमेरिका किसी भी सीमा तक निवेश करने को तैयार है।
यह पहली बार नहीं है जब ओबामा ने इस तरह से कोई बात छात्रों से कही हो। ओबामा पहले भी कई बार अमेरिकी छात्रों को भारतीय छात्रों से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने की बात कह चुके हैं। वर्ष 2010 में भी ओबामा ने छात्रों से कहा था कि अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो फिर उन्हें अपनी नौकरियां भारत और चीन के हाथों गंवाने को तैयार रहना होगा।
आगे की स्लाइडों में पढ़िए और जानिए कि क्यों दुनिया की आर्थिक महाशक्ति को भारत से डर लगता है और अमेरिका की ओर से भारतीय टैलेंट को रोकने के लिए किस तरह की कोशिशें की गईं।
खुद परखी स्टूडेंट की ताकत
नवंबर 2010 में बराक ओबामा जब अपने पहले भारतीय दौरे तो उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज में छात्रों के साथ एक ओपेन सेशन में शिरकत की। इस सेशन के बाद ओबामा ने कहा कि भारतीय छात्रों में दुनिया के किसी भी देश से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने की जो ताकत है वह दुनिया के और किसी देश में नहीं है।
गलत नहीं हैं ओबामा
अगर ओबामा को लगता है कि उनके छात्रों के लिए भारतीय छात्र चुनौती बन सकते हैं तो वह गलत नहीं हैं क्योंकि माइक्रोसाफ्ट, फेसबुक, एप्पल, कॉग्नीजैंट, सिटी बैंक, आईबीएम, याहू, गूगल और न जाने कितनी ही अच्छी कंपनियों में आज कई भारतीय शीर्ष पदों पर मौजूद हैं।
भारतीयों की क्षमता लाजवाब
ओबामा से अलग अमेरिका की कई कंपनियां मानती हैं कि आज भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों से अमेरिका आने वाले छात्र अमेरिकी छात्रों की तुलना में ज्यादा क्षमतावान होते हैं और उनमें अपने काम के प्रति ईमानदारी को लेकर जो गंभीरता होती है वह अमेरिकी प्रोफेशनल्स में कम ही देखने को मिलती है।
बेहतर शिक्षा के सभी उपाय
बराक ओबामा ने वर्ष 2010 में जब अमेरिकी छात्रों से पहली बार अपना डर साझा किया था तो उस समय उन्होंने यह बात भी कही थी कि आज भारत और चीन की ओर से शिक्षा में ज्यादा से ज्यादा निवेश को प्राथमिकता दी जा रही है। यह देश शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजूबत करने की सभी कोशिशें कर रहे हैं। ऐसे में अमेरिका को भी सुधरना होगा।
तो भारत होगा अमेरिका से आगे
ओबामा ने उस समय दावा किया था कि आज नहीं तो कल भारत, अमेरिका से आगे हो जाएगा और तब अमेरिका के लिए बहुत मुश्किलों की घड़ी होगी, जिसका सामना करना वाकई काफी चुनौतीपूर्ण होगा।
अमेरिका में कम हो रहे ग्रेजुएट्स
अमेरिका में कॉलेज ड्रॉप आउट्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और यह राष्ट्रपति ओबामा के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। कुछ समय पहले रिलीज हुई हैकिंगर रिपोर्ट के मुताबिक कम्यूनिटी कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले 80 प्रतिशत छात्र एडमिशन लेने के बाद कॉलेज ही नहीं जाते हैं।
ओबामा का चैलेंज
राष्ट्रपति बराक ओबामा के मुताबिक जिन पदों के लिए भारत से छात्रों या प्रोफेशनलों की आउटसोर्सिंग की जाती है, वह चाहते हैं कि वह नौकरी सिर्फ और सिर्फ अमेरिकी प्रोफेशनल को ही मिले। वह किसी भी कीमत को अपने देश की नौकरी को दूसरे देश या फिर भारत के हाथों में जाएं।