आरुषि हत्याकांड: फैसले से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम
तलवार दंपत्ति पर हत्या और सबूतों को मिटाने का आरोप लगा है। राजेश पर नोएडा पुलिस में नकली प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 203 के तहत अतिरिक्त मामला दर्ज किया गया है। इसे कवर करने के लिए मीडियाकर्मियों की भी भीड़ एकत्र हो गई है। इस मामले की जांच पहले उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी, लेकिन घटना के 15 दिन बाद 31 मई 2008 को यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया।
तलवार दंपत्ति के खिलाफ 25 मई 2012 को मामला दर्ज किया गया था, और इसके बाद सुनवाई शुरू हुई थी। दोनों के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं होने की वजह से सीबीआई का मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। किसी अन्य के इसमें शामिल होने के सबूत न मिलने पर सीबीआई ने तलवार दंपत्ति को हत्यारा माना है।
सीबीआई के अनुसार घटना के दौरान मकान संख्या एल-32 में सिर्फ चार लोग ही मौजूद थे, जिसमें दो की हत्या हो गई थी। सीबीआई वकील आरके सैनी ने यह कहा है कि घटना के दौरान किसी अन्य बाहरी व्यक्ति के सबूत नहीं मिले हैं, आरुषि के शव को छेड़ा गया और हेमराज के शव को छत पर छुपा दिया गया था।