वो कारण, जिनसे खत्म हुई सांप की अधूरी प्रजाति
कैसी होता है दमोई सांप
आपने अकसर ऐसा देखा होगा, कि एक मोटा सा अजगर की तरह दिखने वाला सांप। जो रेंगरेंग कर चल रहा है। उसका रंग-रूप भी थोड़ा कत्थई होता है। यानी हलका लाल। आप झट से उठ खड़े होते हैं और घबरा जाते हैं। क्या आपको पता है यह दमोई सांप होता है। इसे इंग्लिश में दंबोई सांप कहते हैं। बताया जाता है कि हजारों साल पहले जब सांपों की उतपत्ति हो रही थी तो एक प्रजाति ऐसी भी थी जो पूरी तरह से सांप नहीं बन पाई थी। इसे क्या कह सकते हैं। कुछ यह भी कहते हैं कि उस समय अचानक बिजली गिरने की वजह से सांप की एक प्रजाति में सांप के अधूरे गुण ही आ पाए थे। इसे ही कहते हैं दमोई। यह सत्तर सेंटीमीटर तक लम्बा हो सकता है। इसके दोनो तरफ मुह होते हैं। एक मुह बारह महीने में छ महीने एक तऱफ के मुह का खुलता है और अगले छह महीने दूसरे मुह का इस्तेमाल करती है।
क्या यह काट लेता है?
नहीं यह दमोई नहीं काटती। यह भले ही देखने में खतरनाक लगे। इसको देखकर अजगर जैसा जीव नजर आए। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आप पूरी तरही आश्वस्त हो जाएं कि यह दमोई है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह काटती नहीं। पर्यावरण जानकार बताते हैं कि इसमें अन्य सांपों की तरह जहर नहीं होता।
क्यों हो रही है यह लुप्त
दमोई सांपों की प्रजाति में एक विशेष प्रजाति है। इसके इसी विशेष प्रजाति होना ही इसके लुप्त होते जाने के कारण हैं।
कारण-1
भारतीय
समाज
में
अंधविश्वास
जब
चरम
पर
था
तो
एक
धारणा
बनी
थी
कि
यदि
दमोई
प्रजाति
के
इस
सांप
को
यदि
पकड़
कर
रख
लिया
जाए
या
इसको
को
मारकर
इसके
मास
से
बनी
चीजों
को
घर
में
रखा
जाए
तो
गुडलक
आता
है।
यह
मालामाल
कर
देती
है।
कारण-2
दमोई
को
इंग्लिश
में
रेड
सेंड
बो
भी
कहते
हैं।
यह
प्रजाति
लाल
मिट्टी
के
क्षेत्र
या
लाल
रेतीली
जमीन
पर
रेंगते
हुए
पाए
जा
सकते
हैं।
आपको
बता
दें
कि
इसका
आकर्षक
रंग
और
चमड़ी
की
वजह
से
इसकी
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
पर
मांग
होने
लगी
थी।
जिसके
बाद
इसकी
तस्करी
शुरू
हो
गई।
धीरे-धीरे
यह
प्रजाति
समाप्त
होने
के
कगार
पर
आ
गई।
आपको
बता
दें
कि
एक
अनुमान
के
मुताबिक
तस्कर
एक
दमोई
के
बदले
में
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
पर
एक
करोड़
से
ज्यादा
उठाते
हैं।
कारण-3
हमारे
समाज
में
सांप
से
खौफ
ज्यादा
रहता
है।
रहना
भी
चाहिए
क्योंकि
यदि
किसी
जहरीले
सांप
ने
काट
लिया
तो
जान
पर
भारी
पड़
सकता
है।
जो
दमोई
जैसी
प्रजाति
को
नहीं
जानते
हैं,
वह
लोग
इसी
डर
की
वजह
से
इस
प्रजाति
को
जानलेवा
समझकर
जान
से
मार
देते
हैं।
इससे
भी
यह
प्रजाति
समाप्त
हुई
है।