वाराणसी नहीं लखनऊ चुन सकता है देश का 'प्रधानमंत्री' !
लखनऊ, 18 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के वाराणसी के साथ लखनऊ में भी इस बात की बहस तेज हो गई है कि मतदाता महज सांसद नहीं, प्रधानमंत्री चुनेंगे। लखनऊ में इस बहस को हवा दी है शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने।
यहां बात भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की हो रही है। मौलाना राजनाथ को प्रधानमंत्री बनाए जाने के पक्ष में नजर आते हैं। राजनाथ सिंह जब पिछले दिनों मौलाना कल्बे जव्वाद से मिले तो मौलाना ने जो बयान दिया उसने भी जमकर राजनीतिक सुर्खियां बटोरी।
मौलाना ने साफ कहा कि उन्हें नरेंद्र मोदी से डर लगता है लेकिन राजनाथ सिंह बिल्कुल अटल बिहारी वाजपेई की तरह हैं। लखनऊ के लोगों ने भाजपा के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी को पांच बार चुना, वह तीन बार प्रधानमंत्री बने। लखनऊ से चुनाव लड़कर उन्हीं वाजपेयी की विरासत पर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने दावा ठोंका है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की बात पर गौर करें तो अंतिम समय में कुछ भी हो सकता है, भाजपा सर्वसम्मति बनाने के लिए मोदी के बजाय राजनाथ को आगे ला सकती है।
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की संभावनाओं के बारे में बातें की जा रही हैं। थोड़े दिन पहले भी राजनाथ सिंह के एक इंटरव्यू के बाद ऐसी ही बातें उठीं थी लेकिन तब राजनाथ सिंह ने इन सभी संभावनाओं से साफ इंकार कर दिया था। अब यह देखना दिलचस्प हाेगा कि इस बार वह और पार्टी के बाकी नेता किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं।
बीजेपी के कुछ नेता ही मोदी के दुश्मन
मुलायम ने एक जनसभा में कहा कि भाजपा के नेता ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जाशी का इशारा भी कुछ ऐसा ही है। उन्होंने एक चैनल पर कहा कि 'देश में मोदी की नहीं, भाजपा की लहर है।'
बहस को मिला नया रंग
इसी बीच राजनाथ सिंह की मुस्लिम धर्मगुरुओं से हुई मुलाकात हुई। यह मुलाकात शिया धर्मगुरु व इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी और सुन्नी धर्मगुरु व ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली से उनके घर जाकर मुलाकात की थी। भाजपा अध्यक्ष ने उन्हें घोषणापत्र में मुस्लिमों के कल्याण के लिए किए गए वादों की जानकारी दी।
मोदी से डरते मुसलमान
लखनऊ के भाजपा के मौजूदा सांसद लालजी टंडन और महापौर डा. दिनेश शर्मा भी उनके साथ मौजूद थे। इसी मुलाकात के बाद शिया मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने कहा कि लखनऊ के मुसलमान राजनाथ सिंह को अटल बिहारी वाजपेयी की तरह प्रेम देना चाहते हैं, लेकिन भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से डरते हैं।
राजनाथ सिंह पर होगा असर
उन्होंने कहा कि गुजरात में हुई दहशतगर्दी से आज भी मुसलमान घबराते हैं और इसका असर राजनाथ सिंह पर पड़ सकता है, क्योंकि मुसलमान मोदी के नाम पर कभी भाजपा को वोट नहीं दे सकते।
राजनाथ साफ सुथरी छवि वाले
मौलाना ने कहा कि राजनाथ की छवि साफ-सुथरी है, इसलिए मुसलमान उनसे जुड़ सकते थे, लेकिन मोदी के कारण उनको नुकसान होगा। मौलाना के कहने का आशय यह है कि मोदी के बजाय अगर राजनाथ प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होते तो वे मुस्लिम वोट पा जाते।
मुलाकात के नहीं कोई राजनीतिक मायने
मौलाना जव्वाद ने राजनाथ से मुलाकात पर सफाई भी दी है। उन्होंने कहा है कि इस मुलाकात के राजनीतिक मायने नहीं है। इससे पहले भी राजनाथ से उनकी मुलाकातें होती रही हैं। उन्होंने कहा, 'जब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तो हमसे मिलते रहे, ईद पर मुबारकबाद देने आते रहे। इस तरह से देखें तो हमारे पहले से ही रिश्ते रहे हैं। ये मुलाकात सियासी नहीं, व्यक्तिगत थी।'
राजनाथ की नजर पीएम की कुर्सी पर
वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल का कहना है कि भाजपा में यह बच्चे-बच्चे को मालूम है कि राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री पद पर नजर गड़ाए हुए हैं। चुनाव के बाद मोदी का रास्ता रोकने की भूमिका तैयार हो रही है। भाजपा के कार्यकर्ता मतदाताओं के बीच इस मुद्दे को रख रहे हैं।
स्थितियां होंगी निर्णायक
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। राजनाथ सिंह को जिस तरह से नितिन गडकरी की कंपनियों पर पड़े छापों के बाद दूसरी बार पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था, उसी तरह चुनाव के बाद परिस्थितियां अनुकूल बनीं तो राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री हो सकते हैं।