राष्ट्रपति का आया आदेश, 5 घंटे में कृषि मंत्री ने किया उसका पालन
कृषि मंत्री ने देश भर में बारिश से कृषि क्षेत्र में होने वाले नुकसान का जायजा लिया और एक रिपोर्ट तैयार कर दी, जिसकी एक कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार मानसून कम रहने की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, जैसा कि मौसम विभाग ने पूर्वानुमान व्यक्त किया है। इसके लिए आपात योजनाएं पहले ही तैयार की जा रही हैं, राज्यों को उपयुक्त सलाह दी गई है, अनाज का पर्याप्त भंडार रखा गया है और मानसून विफल रहने की स्थिति में तत्काल उपयुक्त उपाय किए जायेंगे।
असल में मौसम विभाग ने भी सोमवार को मॉनसून से जुड़े अनुमान जारी किये जिसमें कहा गया कि देश को लम्बी अवधि के लिए औसतन 93 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना है।
मानसून कम रहने की स्थिति से निपटने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा निम्न कदम उठाये जाएंगे-
1. दक्षिण भारत को छोड़कर पूरे देश में मुख्य जलाशयों में भंडारण की स्थिति संतोषजनक है।
2. लगभग 100 लाख मीट्रिक टन चावल और 175 लाख मीट्रिक टन गेहूँ के बफर नॉर्म की तुलना में केन्द्रीय पूल में दिनांक 1-6-2014 को 206.4 लाख मीट्रिक टन चावल और 415.86 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपलब्ध था।
3. अनियमित मानसून से निपटने के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों तथा संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआरआईडीए) द्वारा 500 कृषि जिलों के लिए कंटिनजेंसी प्लान विकसित किए गए हैं।
राज्यों को निम्नलिखित सलाह जारी की गई है-
1. अनियमित मानसून की स्थिति में केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआरआईडीए) द्वारा विकसित जिला स्तरीय कंटिनजेंसी प्लान को लागू करना ।
2. कम वर्षा की स्थिति में कम जल खपत करने वाली फसलों को उगाने हेतु बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना ।
3. कम वर्षा से उत्पन्न होने वाली सूखे की स्थिति] से निबटने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत उपलब्ध निधियों का 10 प्रतिशत अलग से रखना ।
4. सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त उपाय, जैसे कि मनरेगा के अधीन जल संचयन संरचनाओं का निर्माण; नमी संरक्षण के लिए उपयुक्त कृषि प्रणालियों को बढ़ावा; कम जल खपत करनेवाली फसलों की खेती; नहरों की सफाई, सिंचाई सुविधाओं का पुनरुद्धार; टयूबवैलों का उर्जीकरण, खराब पंपों का प्रतिस्थापन/मरम्मत, आदि को शुरु करना। इसमें मनरेगा व अन्य योजनाओं से धनराशि का भी उपयोग किया जा सकता है।
5. राष्ट्रीय क्राइसिस मैनेजमेंट योजना के कार्य बिन्दुओं के अंतर्गत तैयारी रखना।
6. राज्यों को सूखे के संबंध में तैयार किए गए राष्ट्रीय क्राइसिस मैनेजमेंट के अंतर्गत कार्य बिन्दुओं को तैयार रखने के निर्देश दिये गये।
कृषि मंत्रालय के जिम्मे और क्या-क्या रहेगा
1. केन्द्र के उच्च स्तरीय दलों ने संभावित कम/अनियमित वर्षा से निपटने के लिए राज्यों की तैयारी की समीक्षा करने हेतु अनेक राज्यों का दौरा किया ।
2. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जिला स्तरीय कंटिनजेंसी प्लान को लागू करने में सहायता प्रदान करने के लिए राज्य स्तरीय पारस्परिक बैठकों का आयोजन कर रहा है ।
3. अंतरमंत्रालयी फसल मौसम निगरानी समूह (सीडब्ल्यूडब्ल्यूजी) देश भर में फसल, वर्षा, जल भंडारण और आदान उपलब्धता की समीक्षा के लिए प्रत्येक सप्ताह बैठक कर रही है । जब भी आवश्यक हो उचित रुप से समर्थन और सलाह देने के लिए राज्यों के साथ साप्ताहिक वीडियो कान्फ्रेंस भी आयोजित की जा रही है ।
4. कृषि एवं सहकारिता विभाग के महालानोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केन्द्र (एमएनसीएफसी) राज्य/जिला स्तर पर कृषि सूखे की स्थिति को मापने के लिए नमी दबाव, वनस्पति सूचकांक, वर्षा और बुआई के क्षेत्रफल के आधार पर नियमित रूप से आकलन करता है ताकि सूखे की स्थिति को तुरंत चिन्हित किया जा सके और कंटिनजेंसी प्लान व अन्य उपयुक्त कार्य समय से शुरु किए जाएं।
कम वर्षा व सूखे की संभावित स्थिति को मद्देनजर रखते हुए कृषि एवं सहकारिता विभाग ने निम्न बिन्दुओं पर कार्यवाही शुरू की है-
1. डीजल अनुदान स्कीम शुरू करना (कम वर्षा क्षेत्रों में संरक्षित सिंचाई प्रदान करने के लिए)
2. केन्द्र सरकार के विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बीज अनुदान पर सीमा बढ़ाना (ताकि किसानों की पुन: रोपाई करने की स्थिति में किए जाने जाने वाले अतिरिक्त व्यय की कुछ भरपाई हो सके)
3. राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत बागानों के पुर्नजीवन के लिए विशेष योजना
4. सूखे की स्थिति के तदुपरांत फसल ऋणों को पुन: निर्धारित करना और उस पर ब्याज कम करना
5. त्वरित चारा विकास कार्यक्रम (एफडीपी) के अंतर्गत अतिरिक्त निधियों का आवंटन
6. सूखारोधन तथा न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास कार्यक्रम (आरकेवीवाई) एवं राष्ट्रीय चिरन्तर कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत अतिरिक्त निधियों का आवंटन किया जायेगा।