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ऊंच-नीच जाति नहीं चाहिये तो क्या चाहिये उत्तर प्रदेश को?

By Ajay
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[अजय मोहन] लोकसभा चुनाव जब अपने अंतिम दौर में पहुंचा, जब सारा का सारा फोकस उत्तर प्रदेश पर हुआ तब नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, मायावती और मुलायम सिंह यादव समेत कई नेता ऊंच-नीच की राजनीति के कार्ड तुरुप के इक्के की तरह फेंकने लगे। क्या यही वो राजनीति है जो यूपी को चाहिये? नहीं! तो आख‍िर क्या चीज है, जो उत्तर प्रदेश चाहता है और देश के नेता उसे समझ नहीं पा रहे हैं, या फिर यूं कहिये कि समझना चाहते ही नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश की बात आयी है, तो सबसे पहले हम बात करेंगे बेंगलुरु में रहने वाली एमजी रोड में स्थ‍ित एक मॉल में स्टोर मैनेजर नूपुर श्रीवास्तव की जो लखनऊ के राजाजीपुरम की मूल निवासी हैं, लेकिन अब लखनऊ में वापस जाकर बसना नहीं चाहती हैं। नूपुर कहती हैं कि जब मैं लखनऊ जाती हूं तो बड़ा गंदा-गंदा लगता है। हरदोई के रहने वाले व बेंगलुरु में हनीवेल में कार्यरत रितेश अग्रवाल से जब उत्तर प्रदेश के बारे में बात की, तो बोले, "मुझे बेंगलुरु में रहने का शौक नहीं है और न ही मुझे यहां अच्छा लगता है, लेकिन क्या करूं मजबूरी है। अगर यूपी में बड़ी कंपनियां होतीं तो हमें यहां आने की जरूरत ही क्यों पड़ती। क्या आपने लखनऊ में किसी ऐसे व्यक्त‍ि को देखा है जो कर्नाटक का रहने वाला हो और वहां नौकरी कर रहा हो?"

नूपुर और रितेश की बातों में दर्द भी है और गुस्सा भी और यह गुस्सा आज यूपी के 32 लाख बेरोजगार युवाओं में दिखाई दे रहा है, जब यहां के नेता ऊंच-नीच जाति की बात कर रहे हैं। अगर उत्तर प्रदेश को ऐसे ही जाति के आधार पर तौलते रहे, तो इसमें कोई शक नहीं कि यहां हालात और भी बुरे हो जायेंगे, क्योंकि नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार 2017 तक यानी अगले लोकसभा चुनाव के पहले तक राज्य में बेरोजगार युवाओं की संख्या 1 करोड़ हो जायेगी।

किस आधार पर वोट देते हैं यूपी के लोग

सर्वे कंपनी सीएसडीएस द्वारा मार्च 2014 में उत्तर प्रदेश में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार यहां के 20 प्रतिशत वोटर विकास को महत्व देते हैं। वहीं 17 प्रतिशत वोटर महंगाई को ध्यान में रखते हुए वोट करते हैं, तो इतने ही प्रतिशत वोटरों के लिये भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है। बेरोजगारी के बारे में 8 फीसदी लोग ज्यादा गंभीर हैं। 5 फीसदी लोगों के लिये खराब सड़कें सबसे बड़ा मुद्दा हैं। बाकी के लोग कानून व्यवस्था, कृष‍ि संबंधी समस्याएं, पानी की किल्लत, बिजली की समस्या, आदि को महत्व देते हैं। सर्वे के अनुसार किसी ने भी जाति को वोट देने का सबसे बड़ा आधार नहीं बताया।

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English summary
In the last phases of elections when the focus is on Uttar Pradesh, politicians like Rahul Gandhi and Narendra Modi are playing caste card. But this is what people don't want.
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