क्या है PM नरेंद्र मोदी के पास और क्या नहीं...? ध्यान से पढ़ें
[मयंक दीक्षित] देश का प्रधानमंत्री ना सिर्फ सत्ता का केंद्र होता है बल्कि एक बड़ी ज़िम्मेदारी के पद का निर्वहन करता है। नई सरकार की नई नीतियों पर यदि गौर करें तो कुछ ऐसे फेरबदल भी हम पाएंगे जिन पर पिछली सरकारों ने तवज्जो नहीं दी। यदि विभागों की बात करें तो हालिया खबर में योजना आयोग को खत्म करने की योजना बनाई जा चुकी है।
देश की पिछली सरकार में सामने आए भ्रष्टाचार के मामलों ने ना सिर्फ सत्तारूढ़ पार्टी की फज़ीहत करवाई साथ ही देश की अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी बदनामी हुई। इस बार 'अच्छे दिन' के नारे के साथ कुछ ऐसे इंतज़ामों को अंजाम दिया गया है जिनकी मदद से जनता इस कार्यकाल से खुश व संतुष्ट रहे। आइए जानें नई योजना में क्या-क्या पीएम मोदी अपने पास रखते हैं और क्या-क्या उनके सिपाहसलार संभालते हैं-
3 ताकतें
जिन तीन मुद्दों ने देश में काफी वक्त से हलचल मचा रखी है, वह हैं-लोकपाल, सीवीसी और भ्रष्टाचार विरोधी कानू। इन से सम्बंधित मामलों पर सीधा निर्णय पीएम मोदी का ही है।
पीएम के 'विभाग'
दरअसल सीबीआई, भ्रष्टाचार, लोकपाल जैसे गंभीर विषय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत आते हैं। इनका प्रभार प्रधानमंत्री के पास है। इस बार सरकार नहीं चाहती कि कांग्रेस की तरह ऐसा कोई भी दाग लगे, जिससे आगे की राह मुश्किल हो जाए।
राज्यमंत्रियों के हवाले 'वतन' साथियों!
पीएम ने राज्यमंत्रियों को जो अधिकार दिए हैं उनमें- सीबीआई, प्रत्यर्पण प्रक्रिया के लिए मंजूरी देना। सीबीआई में ग्रुप-ए पदों पर भर्ती के नियम तय करना व डीआईजी और उससे ऊंचे पदों के अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने सम्बंधित नीति बनाना।
पीएम का 'दांव'
सर्वप्रथम लोकपाल, सीवीसी से जुड़े मुद्दे, यूपीएससी के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति, उनके इस्तीफे और उन्हें हटाने के संबंध में। RTI कानून में संशोधन, आईएएस, केंद्रीय सचिवालय सेवा, ग्रेड-1 और उससे ऊपर के अफसरों और सीबीआई के ग्रुप-ए के अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामले। इस रैंक के अधिकारी जो अपील दायर करेंगे, उन पर और इनके खिलाफ मुकदमे की मंजूरी का फैसला भी पीएम ही करेंगे।
'विवाद' मोल क्यों लिए जाएं?
यूपीएससी सदस्य, अध्यक्षों की नियुक्ति, आरटीआई, आइएस जैसे विवादित मामलों-विभागों की डोर पीएम मोदी ने स्वयं अपने पास रखी। गौरतलब है कि कई बार खबरें आईं हैं कि गुजरात से आरटीआई के जवाब काफी कम दिए जाते हैं। कहीं देशभर में भी आरटीआई को लेकर यह लहर ना फैले। इन सभी बातों के चलते पीएम ने सक्रियता से इन 'कार्यों' में अपने अंतिम निर्णय की व्यवस्था की है।