योजना आयोग नाम की कोई संवैधानिक संस्था है ही नहीं देश में, पढ़ें ये 8 'सच'
[मयंक दीक्षित] 'योजना आयोग संवैधानिक व्यवस्था का हिस्सा ही नहीं है'। यह बात सुनने में जिस तरह आप आश्चर्य में आए वैसे ही खबर को शक्ल देते वक्त हम भी ज़रा असहज हुए थे। जब सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष पार्थ जे शाह ने इसे तर्कों सहित समझाया तब जाकर योजना आयोग की भीतरी पर्तें समझ में आईं। बातचीत के मुताबिक वे कहते हैं '' योजना आयोग का गठन सिर्फ कैबिनेट नोट के माध्यम से किया गया था।
नीति-निर्धारक संस्था के रूप में अपनी नींव रखने वाले आयोग को कभी संसद से कानून के माध्यम से संस्तुति दिलाने की जरूरत ही नहीं समझी गई। यह अभी तक संविधान से ऊपर निकाय के रूप में ही अपना क्रियान्वयन करती आई है। अब घुमाएं स्लाइडर और जानें कि तब के योजना आयोग को अब का 'योजना आयोग' बनाने की क्या हैं अनसुनी पर्तें-
रूस ने त्यागा 'योजना आयोग'
भारत में भले ही योजना आयोग की अनुपयोगिता को अभी पहचाना गया हो, पर सोवियत संघ इस पद्धति को छोड़ चुका है। योजनाओं पर सक्रिय कियान्वयन व सख्त ज़िम्मेदारी का दायरा न होने से योजना आयोग को रिप्लेस करने की योजना बन चुकी है।
सीमित दायरा
साल 1991 से पहले योजना आयोग 'लक्ष्य निर्धारण' व 'लाइसेंस निर्धारण' पर काम किया करता था। जैसे- देश को कितना कोयला, लोहा, बिजली चाहिए, कितनी कारें व वाहनों का उत्पादन होना चाहिए। क्या पैदा करना चाहिए किसे बंद कर देना चाहिए आदि।
'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ'
इतिहास से ही तब और अब के योजना आयोग में लगभग काफी बेहतर क्रियान्वयन को लेकर बेहद कम अंतर रहा है। 1991 तक भारत की 2 से 3 फीसदी ग्रोथ को हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ नाम दिया गया जबकि यह ''योजना आयोग वृद्धि दर'' होना चाहिए था।
नया नामकरण!
'द इकोनॉमिक टाइम्स' के मुताबिक PM नरेंद्र मोदी से शक्तियां लेने वाला पांच सदस्यीय थिंक टैंक योजना आयोग की जगह ले सकता है। योजना आयोग का नया नाम उत्पादकता आयोग रखने की येाजना है!
5 सदस्यीय
खबर है कि उत्पादकता आयोग में 5 सदस्यीय थिंक टैंक होगा जो कि पहले 8 सदस्यीय हुआ करता था। पीएम को सलाह देने वाले इस थिंक टैंक में भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया और विवेक देबरॉय भी शामिल हो सकते हैं।
अब करेगा यह काम
उत्पादकता आयोग विभिन्न मुद्दों पर सरकार को सलाह देगा। तमाम विभागों के कामकाज की समीक्षा भी करेगा और अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहीं योजनाओं पर रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगा। दरअसल इसे बनाने की सिफारिश आर्थिक समीक्षा 2013-14 में की गई थी, जिसे वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में पेश कर चुके हैं।
जवाबदेही बढ़ेगी
गौरतलब है कि नए आयोग पर समीक्षा में योजनागत और गैर-योजनागत खर्च के अंतर को भी खत्म करने का प्रावधान है। यह सिफारिश सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने की थी, जिसे अरुण जेटली समेत तमाम दिग्गजों ने माना है।
चुनाव-मंथन जारी है
5 सदस्यों की नई टीम को लेकर मंथन तेजी से जारी है। खबर है कि विवेद देबरॉय और अरविंद पनगढ़िया दोनों ही चुनाव से पहले से नरेंद्र मोदी की सलाहकार टीम में रह चुके हैं, यहां भी जगह पा सकते हैं। दो नए नामों पर विचार किया जा रहा है।