अब्दुल बासित की प्रेस काफ्रेंस में नजर आई पाक की बौखलाहट
नई
दिल्ली।
भारत
ने
सोमवार
को
जब
से
पाकिस्तान
के
साथ
25
अगस्त
को
होने
वाली
सचिव
स्तर
की
जो
वार्ता
कैंसिल
की
है,
उसके
बाद
पाक
मानो
बौखला
सा
गया
है।
पाक
के
उच्चायुक्त
अब्दुल
बासित
ने
बुधवार
को
जो
एक
प्रेस
कांफ्रेंस
आयोजित
की
वह
दरअसल
प्रेस
कांफ्रेंस
से
ज्यादा
पाक
की
बौखलाहट
को
बयां
करने
वाले
जरिए
में
तब्दील
हो
गई।
भारत पर ही लगा दिया आरोप
बासित से जब सीजफायर तोड़ने पर सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि जुलाई से लेकर अब तक भारत ने 57 बार सीजफायर का उल्लंघन किया। बासित की मानें तो पाक भारत से अच्छे रिश्ते और सार्थक बातचीत चाहता है।
आतंकवाद के मुद्दे पर एक बार फिर पाक ने खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश करार दे डाला। मुल्क में खराब हालात को स्वीकार करते हुए बासित ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित हुए बिना पाकिस्तान में शांति नहीं आ सकती है। बासित के मुताबिक पाकिस्तान ने अब तक अपने 50 हजार नागरिक और 5 हजार सैनिकों को आतंकवाद की वजह से खो दिया है।
बासित
ने
कहा
तय
नहीं
मोदी,
शरीफ
की
मुलाकात
बासित
का
एक
बयान
पाक
के
गुस्से
और
उसके
फ्रेस्ट्रेशन
को
साबित
करने
के
लिए
काफी
था।
बासित
के
मुताबिक
भारत
द्वारा
पाकिस्तान
के
साथ
विदेश
सचिव
स्तर
की
वार्ता
रद्द
होने
का
असर
अगले
हफ्ते
न्यू
यॉर्क
में
प्रस्तावित
दोनों
देशों
के
प्रधानमंत्रियों
की
बैठक
पर
भी
पड़
सकता
है।
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान के उच्चायोग में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बासित ने कहा कि अगले महीने न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जो मुलाकात होनी थी अब उसका भविष्य खतरे में है।
पाक ने भारत को बताया जिम्मेदार
इसके साथ ही पाकिस्तान ने भारत के साथ सचिव स्तर की बातचीत रद्द करने के भारत के फैसले के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहराया है और कहा है वह अभी भी सकारात्मक एवं शांतिपूर्ण संबंध बनाने का पक्षधर है।
बासित ने कहा कि सचिव स्तर की बातचीत रद्द होना गलत है। इससे शांति की कोशिशों को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि बातचीत रुकनी नहीं चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि यह एक जटिल स्थिति है। पाकिस्तान में हम बहुत सकारात्मक हैं और संबंधों को सामान्य करने के प्रयासों के बीच ध्यान भटकाने वाली चीजों को आने नहीं देंगे।
अलगाववादियों से मुलाकात परंपरा का हिस्सा
इसके अलावा कश्मीरी अलगाववादियों से अपनी मुलाकात पर हो रहे विवाद पर बासित ने जवाब दिया कि यह परंपरा का हिस्सा है। बासित की मानें तो इस तरह की बातचीत काफी लंबे अर्से से चली आ रही है।
बासित की मानें तो अलगाववादी धड़े के नेताओं से मिलना और उनसे बातचीत करना कश्मीर मुद्दे पर सभी को साथ लेकर चलने की हमारी कोशिशों का ही हिस्सा है। सभी पक्षों से बातचीत जरूरी है, इसलिए अलगाववादियों से पिछले 20 साल से बातचीत होती रही है।