अब पीसी पारेख की किताब में कमजोर पीएम के किरदार में मनमोहन सिंह
सोमवार को जारी होने वाली पुस्तक 'क्रूसेडर ऑर कांस्पिरेटर? कोलगेट एंड अदर ट्रूथ' में परख ने उस दिन की घटना को याद किया जब वह अपना इस्तीफा तत्कालीन कैबिनेट सचिव बीके चतुर्वेदी को सौंपने के बाद प्रधानमंत्री से बिदाई मुलाकात करने गए थे। परख कोयला सचिव के पद से दिसंबर 2005 में सेवानिवृत हुए थे।
68 वर्षीय पारेख ने अपनी पुस्तक में कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा तब दिया था जब संसद की स्थायी समिति की बैठक के दौरान भाजपा सांसद धर्मेन्द्र प्रधान ने उनका अपमान किया था और सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई थी।
मानस पब्लिकेशन से प्रकाशित पुस्तक में पारेख ने कहा, '17 अगस्त 2005 को मैंने प्रधानमंत्री से विदाई मुलाकात की। मैं सांसदों की ओर से नौकरशाहों एवं वरिष्ठ अधिकारियों के अपमान के बारे में चिंता व्यक्त करना चाहता था।'
पारेख के खिलाफ सीबीआई ने कोयला ब्लाक आवंटन मामले में मामला दर्ज किया है। पारेख ने अपनी किताब में कहा कि प्रधानमंत्री ने गहरा क्षोभ व्यक्त किया और कहा कि उन्हें भी प्रतिदिन ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन यह देशहित में नहीं होगा कि वह हर ऐसे विषय पर इस्तीफे की पेशकश करें।
उन्होंने कहा, 'फैसले पर अमल नहीं करने या उसे बदले जाने के संबंध में अपने मंत्रियों से अपमान सहने की बजाए अगर डॉ मनमोहन सिंह इस्तीफा देते हैं तब मैं नहीं जानता कि क्या देश को बेहतर प्रधानमंत्री मिलेगा।'
लेखक ने कहा, 'ऐसी सरकार का नेतृत्व जारी रखकर, जिसमें उनका राजनीतिक प्राधिकार कम है, उससे टूजी घोटालर और कोलगेट से उनकी छवि को गहरा आघात लगा है हालांकि उनकी निजी छवि बेदाग रही है।'
उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ बातचीत का भी जिक्र किया और कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री जिस तरह से काम करते हैं, इससे देश के कइ्र अहम पहलू कमजोर पड़ते रहे। पीएम मनमोहन सिंह अपनी शैली में नहीं बल्कि 'सीमाओं' में बंधे हैं।