Oneindia: 'आडवाणी के 'मूकदर्शक' बनने से नई दिशा में जाएगी भाजपा'
बेंगलोर। आडवाणी को संसदीय बोर्ड से बाहर करने पर क्या होगा? यह सवाल भले ही वनइंडिया ने सार्वजनिक मंच पर पूछा हो पर जनता व भाजपाई खेमा इस सवाल से कब का बेफिक्र हो चुका है। जवाब की उम्मीद जैसी भाजपा के प्रतिनिधि मंडल से थी, ठीक उससे उल्ट जनता से।
वनइंडिया
रिपोर्ट
ने
उम्मीद
की
थी
कि
शायद
आडवाणी
को
जनता
का
संवेदनात्मक
समर्थन
मिल
जाए
पर
यह
राय
भी
उलट
साबित
हुई।
नीचे
लगी
तस्वीर
में
आप
पाएंगे
कि
जनता
ने
आडवाणी
को
बोर्ड
में
शामिल
ना
करने
के
फैसले
को
सही
बताया
है।
साथ ही यह भी राय साझा की है कि इस फैसल के बाद से भाजपा एक नई दिशा तय करेगी, जहां युवा जोश होगा व जनहित के अत्याधुनिक फैसले होंगे। भारतीय जनता पार्टी ने बीते मंगलवार को ज़बरदस्त बदलाव का संदेश दिया और पार्टी संसदीय बोर्ड से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पढ़ें-
इन
5
गलतियों
ने
डुबोया
आडवाणी
का
कॅरिअर
भाजपा
अध्यक्ष
अमित
शाह
को
संसदीय
बोर्ड
का
अध्यक्ष
बनाया
गया
है
जबकि
नरेंद्र
मोदी,
राजनाथ
सिंह,
सुष्मा
स्वराज,
अरुण
जेटली,
अनंत
कुमार,
नितिन
गडकरी,
वेंकैया
नायडू,
थावरचंद
गहलोत,
जेपी
नड्डा,
शिवराज
सिंह
चौहान
और
रामलाल
को
शामिल
किया
गया
है।
अभी
यह
सर्वे
सक्रिय
है,
आप
भी
वोट
दें-
इस बात की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थी कि संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन में अटल और आडवाणी को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। हालांकि यह क़दम मोदी सरकार से भाजपा के दिग्गजों को बाहर रखने के बाद अब पार्टी संदीय बोर्ड को भी 75 वर्ष वाले नेताओं से मुक्त करने के रूप में देखा जा रहा है।