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Doctors Day: आरुष‍ि हत्याकांड में लापरवाही से लेकर मासूम का पैर काटने तक के जिम्मेदार डॉक्टर

By Mayank
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बेंगलोर। धरती के भगवान यानि कि डॉक्टर के लिए आज ख़ास दिन है। 1 जून का दिन नेशनल डॉक्टर्स डे के नाम से मनाया जाता है। हर साल इस दिन डॉक्टरी संस्थाआें में जश्न मनता है और अखबारों-टीवी चैनलों पर इसके महत्व व दिशा-दशा पर चर्चाएं होती हैं।

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आरुष‍ि हत्याकांड में डॉक्टरों की लापरवाही- इस चर्च‍ित हत्याकांड में भी डॉक्टरों ने लापरवाही की भयावह तस्वीर पेश की। मामले की जाँच कर रही सीबीआई टीम ने जब सम्बंध‍ित जिला अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. ऋचा सक्सेना से सिमन्स (रेप के सबूत जुटाने के लिए जरूरी तत्व) की रिपोर्ट जानकारी माँगी तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सिमन्स की जाँच करने के बाद रिपोर्ट रजिस्टर में दर्ज कर अपने कार्यालय मे रख दिया था। वह रजिस्टर अब चोरी हो गया है। अगर यह जानकारी हाथ लग जाती तो हम जान पाते कि आरुष‍ि हत्या से पहले रेप का श‍िकार हुई थी या नहीं।

2010 नेत्रहीनता का मामला- मध्यप्रदेश के जबलपुर गांव के 29 लोगों की मोतियाबिंद के इलाज में आंखों की रोशनी चली गई। हैरानी की बात यह है कि इस मामले पर प्रशासन ने चुप्पी साध ली व माफी मांगकर पीड़‍ितों की जिंदगी की रोशनी छीन ली गई।

मुरादाबाद में नहीं हुई मुराद पूरी- यहां डॉक्टर ने लापरवाही का उदाहरण देते हुए एक ऐसे नवजात शिशु के सिर का ऑपरेशन कर दिया जिसके पेट में प्रॉब्लम थी। बच्चे की हालत नाजुक बताई गई पर आज भी वह पूरी तरह अस्वस्थ्य नहीं है व वहां के डॉक्टरों की लापरवाही की कीमत उसके अभ‍िभावक चुका रहे हैं।

कर दिया गलत ऑपरेशन- 29 जून को जोधपुरशहर के सरस्वती हॉस्पिटल एंड सिवाच ऑर्थो सेंटर में डॉक्टर ने गंभीर लापरवाही बरतते हुए पीड़ा वाले बाएं के बजाय सही सलामत दाएं हाथ का ऑपरेशन कर दिया। सेंटर के संचालक ने डॉक्टर की लापरवाही को स्वीकार किया पर तकलीफ का अंबार पीड़‍ित और उसके परिवार पर आ गिरा।

गर्भवती की जिंदगी छीन ली- बीते सप्ताह जबलपुर में दिल दहलाने वाली घटना सामने आई जहां लापरवाही की कीमत एक गर्भवती ने जान देकर चुकाई। डॉक्टर ने कहा कि प्रियंका की बच्चेदानी में एक नस चोक है, जिसे ऑपरेशन करके खोलना पड़ेगा।

उसे ऑपरेशन थियेटर लाया गया जहां उसे एनेस्थिसिया दिया गया। उसके बाद उसके मुंह से खून आने लगा। डॉक्टर ने परवाह किए बिना ऑपरेशन कर दिया। हालत बिगड़ती देख डॉक्टर ने उसे ब्यौहारबाग स्थित निजी अस्पताल रेफर कर दिया, जहां प्रियंका को दो घंटे वेंटीलेटर पर रखने के बाद जिंदगी से हार गई।

मासूम का पैर काट दिया- इसी साल 17 जून को दिल्ली में मासूम के साथ लापरवाही बरती गई। 9 साल के बिलाल को एक झोलाछाप डॉक्टर के इलाज का खामियाजा अपने पैर कटवा कर चुकाना पड़ा। बिलाल को खेलते समय पैर में 3 इंच का शीशा चुभ गया था। उसके परिजन उसे लेकर नजदीक के एक क्लीनिक पहुंचे। डॉक्टर ने बिना एक्स रे किए उसके पैर में पट्टी बांध दी। एक अन्य डॉक्टर ने गैंगरीन का खतरा बढ़ने पर उसका पैर काट दिया।

मृत महिला का किया ऑपरेशन- बीते दिनों दिल्ली का मामला सामने आया जिसमें कथ‍ित रूप से डॉ. छवि ओझा व डॉ रमेश ओझा ने एक उस महिला का ऑपरेशन कर दिया, जिसकी पहले ही मौत हो चुकी थी।

ऐसे ही अनगिनत मामलों से धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर्स के संगीन और शर्मनाक मामले सामने आए हैं। क्या National Doctors Day के दिन हम उस पहल की उम्मीद कर सकते हैं कि डॉक्टर अपने पेशे की सच्चाई और फर्ज समझेंगे।

English summary
On National Doctors Day will they get rid of their carelessness
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